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पृष्ठ:राजसिंह.djvu/५१

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राजसिंह [आठवॉ दासी-उस बुढ़िया को क्या कहदूं ? पहिली-यह तो कह, वह है कौन ? दासी-मुसलमानी है ? दिल्ली से आई है, मिस्सी, सुर्मा और तस्वीरें बेचती है। कहती है राजकुमारी के लिए तस्वीरें लाई हूँ? पहिली-अरी उसका रंग रूप कैसा है ? दासी-मुंह मे एक दॉत नहीं, चहरे पर लकीरें ही लकीरें, आँखों में सुरमा और मुंह में पान । पहिली-अरे वाह, उसके यह ठाठ । यहाँ भेजदे उसको जरा। दिल्लगी ही रहेगी। दासी-बहुत अच्छा। (जाती है। पहिली-बरा दिल्ली का हाल चाल ही जाना जायगा। सुना है मुआ नया बादशाह बड़ा काँइयाँ है। दूसरी-हत्यारा, भाइयों के सिर काटकर तस्त पर बैठा है। पहिली-चुप वह आरही है शैतान की नानी (बुद्धिया माती है) एक-बुड्ढी तेरे पोपले मुंह में कितने दाँत हैं ? बुढ़िया-बेटी में दिल्ली रहती हूँ। दूसरी-दिल्ली में बिल्लियाँ बहुत है ? बुढ़िया-मैं तस्वीरें बेचती हूँ, मेरा बेटा मुसौबर है। पहिली-टू पत्थर है, दिखा कैसी तस्वीरें है।