पृष्ठ:राजसिंह.djvu/५५

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मैं? यह अङ्गः दूसरा पहिला दृश्य (स्थान--दिल्ली की जामा मस्जिद के सामने का मदान। मस्जिद में जुमे की नमाज की धूमधाम हो रही है ग्राम गस्ते बहुत से हिन्दुओं की थोड़ इकट्ठी हो रही है। घुड़सवार सिपाही भीड़ दयना चाहते हैं। समय- एक सिपाही-(एक नागरिक से ) कौन हो जी तुम ? नागरिक-क्या तो तुम अन्दाज से ही जान सकते थे- मेरे एक नाक, दो कान, एक मुंह, दो हाथ, दो पैर हैं, जैसे कि तुम्हारे हैं। सिपाही हम पूछते हैं जी कि तुम क्या काम करते हो ? नागरिक बहुत से काम करता हूँ। टेढ़ों को सीधा करता हूँ सीधों को झुका देता हूँ। तुम्हारा कुछ काम हो तो कहो। सिपाही-रहते कहाँ हो? नागरिक-इसी शहर में। सिपाही-हिन्दू कि मुसलमान ।