पृष्ठ:राजसिंह.djvu/५९

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राजसिंह [पहिला सब-(चिल्लाकर ) जजिया माफ किया जाय । हम नहीं दे सकते-हम नहीं देंगे- नकीब-इटो-बचो-रास्ता साफ करो। कुछ लोग-सड़क पर लेट जाओ।हम अर्जी बिना मजूर किये न हटेंगे। (बहुत से लोग सड़क पर लेट जाते हैं। बादशाह-यह क्या हंगामा है। वजीर-हुजूर शहर के हिन्दू जमा हैं। बादशाह-(त्योरियों में बब डालकर) किस लिये ? वजीर-जजिया के खिलाफ जहाँपनाह की खिदमत में अर्ज करने बादशाह-उन्हें रास्ते से हटाओ। वजीर-वे रास्ते पर लेट गये हैं। वे कहते हैं हम अर्जी कुबूल कराकर हटेंगे। बादशाह-(ऋद्ध स्वर से) उन पर मस्त हाथियों को छोड़ दो। (भीड़ पर मस्त हाथी छोडेजते हैं। लोग कुचले जाकर चीखते चिल्लाते रोते पीते भागते हैं। बहुत से मारे बते हैं)