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६४ राजसिंह [छठा रहा। आप बादशाह को साफ-साफ इन्कार कर दीजिये। दीवान-महाराज, आज्ञा पाऊँ तो एक निवेदन करूं? राजा-(अधीर होकर ) अब और आप क्या कहना चाहते हैं ? दीवान-(हाथ जोड़ कर )महाराज! हमें राजनीती से काम लेना चाहिए ? बादशाह से विचारने के लिए दो महीने का अवसर लेना ठीक होगा। राजा-पर मुझे तो कुछ सोचना-विचारना नहीं है। दीवान-फिर भी महाराज ! दास की प्रार्थना है। दो मास में हम कुछ युक्ति सोच लेंगे, जिससे आगे की बचत निक- लने का कुछ सुभीता निकल आवेगा। राजा-अच्छा, ऐसा ही कीजिये। (पर्दा गिरता है)