पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/११४

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उसके फलस्वरूप उसके प्राणों की हत्या हुई। अपनी ईमानदारी का यह पुरस्कार वादशाह औरंगजेब से जयसिंह को मिला। इन दिनों में आमेर का राज्य बहुत निर्बल पड़ गया था। दिल्ली दरवार में उस राज्य को जो सम्मान प्राप्त हुआ था, वह भी अब पहले का-सा न रह गया था। इसलिए विशन सिंह को तीन हजारी मनसब का पद मिला। वह बहुत दिनों तक जीवित न रहा। सन् 1700 में वह वहादुर शाह के साथ काबुल के युद्ध में गया था। वहीं पर उसकी मृत्यु हो गयी।