अध्याय-56 राजा सवाई जयसिंह व आमेर राज्य + प्रथम राजा जयसिंह ने जिस प्रकार मिर्जा राजा जयसिंह के नाम से प्रसिद्धी पायी थी, ठीक उसी प्रकार द्वितीय राजा जयसिंह सवाई जयसिंह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बादशाह औरंगजेब के शासन के चवालीसवें वर्ष सन् 1699 ईसवी मे वह सिंहासन बैठा। इसके छः वर्ष के बाद औरंगजेब की मृत्यु हुई। सवाई जयसिंह ने दक्षिण के युद्ध में अपने साहस और शौर्य का परिचय दिया था। औरंगजेब की मृत्यु के पहले मुगल दरबार में सिंहासन का संघर्ष पैदा होने पर सवाई जयसिंह ने आजमशाह के लड़के शाहजादा बेदार वख्त का पक्ष लिया और उसकी सहायता के लिए वह धौलपुर के युद्ध में गया था। उस संग्राम में वेदार बख्त मारा गया और शाह आलम बहादुर शाह के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। सवाई जयसिंह ने बेदार बख्त का पक्ष लेकर शाह आलम का विरोध किया था। इसलिए आमेर का राज्य मुगल साम्राज्य से अलग कर दिया गया और सम्राट शाह आलम की तरफ से एक व्यक्ति आमेर राज्य का शासक बनाकर भेज दिया गया। सवाई जयसिंह ने बादशाह के इस कार्य को सहन नहीं किया। उसने कछवाहों की सेना लेकर मुगलों का सामना किया और उसने बादशाह की फौज को पराजित करके भगा दिया। इस घटना के बाद सवाई जयसिंह और बादशाह के बीच भयानक शत्रुता पैदा हो गयी। सवाई जयसिंह ने उस शत्रुता की परवाह न की और मुगलों का सामना करने के लिए उसने मारवाड़ के राजा अजीत सिंह के साथ सन्धि कर ली। सवाई जयसिंह ने चवालीस वर्ष तक आमेर के सिंहासन पर बैठकर शासन किया। इस बीच में उसे कई बार युद्ध करने पड़े। वह मेवाड़ और बूंदी राज्य का कठोर शत्रु था। उसकी इस शत्रुता का वर्णन मेवाड़ और वृंदी राज्य के इतिहास में किया गया है। सवाई जयसिंह के शासनकाल में मुगल-साम्राज्य में अराजकता की वृद्धि हो रही थी और उसके फलस्वरूप तैमूर के वंशजों का शासन बड़ी तेजी के साथ छिन्न-भिन्न होता जा रहा था। सवाई जयसिंह स्वाभिमानी राजपूत था और अपने स्वाभिमान के कारण ही उसको कई वार युद्ध करना पड़ा। उन युद्धों में उसने सदा अपने गौरव की रक्षा की। मुगलो की विशाल शक्तियाँ उसे मिटा न सकी। शासन में राजनीति और न्याय के नाम पर सवाई जयसिंह का स्थान ऊँचा है, इसमें किसी प्रकार का मतभेद नहीं हो सकता। यह दूसरी बात है कि विदेशी इतिहासकारों ने निष्पक्ष होकर उसके गौरव का वर्णन नहीं किया। सवाई जयसिंह ने अपने नाम पर जयपुर नामक राजधानी की स्थापना की। उस राजधानी में शिल्प और विज्ञान की वहुत उन्नति हुई। जिसके कारण प्राचीन आमेर की राजधानी का गौरव फीका पड़ गया। इन दोनो राजधानियों मे छः 107
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