पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१६८

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करने के लिए मगठी के पास भेना। टन सामन्तों के नाम थे, नगल सिंह और दलंल सिंह। ठन सामन्तों ने मगठों के मरदार के पास जाकर मंधि की गातचीत की और नाटों को दी जाने वाली रकम का निर्णय हो गया। जब दोनों मामन्त गपस आने लग नो नग के सरदार ने उनको रोककर कहा- "जब तक दण्ड को यह रकम हमारे पास न आ जाएगी, आप यहाँ से किसी प्रकार जा नहीं मन्ते।" ठन सामन्ती ने मगठा नादार की इस बात का विरोध किया इसी समय एक सामन्न अपनं माथ के एक कर्मचारी ने हुक्का लंकर पीने लगा। यह देखकर एक मगठा ने टला हुक्का छीन कर कल दिया। उनके इस व्यवहार में सामन ने अपमानित होकर अपनी कनर में तलवार निकाल ली और हुक्का कंकन वालं नगठा पर आयात करने के लिए नयार हो गया। इसी समय मगठा नस्टार ने दलल सिंह के हाथ में दनवार देखकर अपनी बन्दुक ने ठम गोली मार्ग। यह देखकर अपने साथ के कर्मचारियों को संत का दृलग सामन नवल सिंह लड़ने के लिए तैयार हो गया। इस बहुत से नगमा एक साथ टूट पड़े और उन्होंने सुग्हला के सामन्ती और कर्मचारियों को जान मार डाला। बहुत समय तक नगठों के पास से मामलों के न लौटने र खण्डेला के राजा इन्द्रसिंह को चिन्ता होने लगी। अपने साथ कुछ आदमिण को लेकर वह नगढों की नान ग्याना हुआ। उनके करीब पहुँचने र उनने सुना कि नगटी ने दोनों नामन्तों और मायके कर्मचारियों पर आक्रमण का ठनको मार डाला है। इस समाचार को सुनने ही माय के आदमियों ने इन्द्रसिंह सेखण्डला लोट जाने के लिए कहा। ठनको लममा हुए इन्द्रसिंह ने उत्तर दिया- "एमा नहीं हो सकता। हमारे सामन्त और मादी मारे गये हैं। इसलिए इस समाचार को पाने के बाद लोट जाने की अपेक्षा वहां जाकर मृत्यु का सामना करना अधिक यह कह कर अनं आदनियों के माय इन्द्रसिंह आगे बढ़ा और कुछ दूर आगे नाकर सभी लोग बाहों में उतर पड़े। समीप के पड़ों में गहों को गाँव अपनं आदमियों के साथ हाथों में तलवार लिए हुए इन्द्रसिंह ने गत्रुओं पर जाकर आक्रमण किया। उनी अन्य मगढ़ों का दल उन पर टूट पड़ा और अपने आदमियों के साथ इन्द्रसिंह मारा गया। दलल सिंह वायल होने के कारण अभी तक मरा नहीं था। इसीलिए गनु के आदी उसकी वसीट कर अपन डंगें में लं गये। इन्द्रसिंह के मां जाने के समय उमना लड़का प्रतापसिंह गुण्डला से दम नील दूर एक गियर पर बने हुए दुर्ग में मौजूद था। वह अभी-जालन के सम्बन्ध में कुछ नहीं जानता था। इसलिये शुद्धता के लित पुन्पों ने राज्य में जिसके पास जो कुछ मौजूद था. अनान और खान की वस्तुग तक वे जो धन एकत्रित किया गया, वह ना को दे दिया गया। इलंग बाट मग यहाँ से चल गयं मार सिद्धानी बंग अधिकृत नगग में जा पहुँचे। नयने हलं ठन मगठों ने उदयपुर पर आक्रमगं किया और उसे सभी प्रकार लूटकर उनको अग्न अधिकार में कर लिया। उनक गट भी मराठा दल के लोग नगर में लूटमार के अतिरिक्त 160