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पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१९१

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ब्राह्मण पुरााहत न जो पड़यंत्र आरम्भ किया था और जिसके कारण प्रधानमंत्री शिवनारायण मिश्र को आत्महत्या करनी पड़ी, उसमें उसको पूरी तौर पर सफलता मिली।' शिवनारायण मिश्र के बाद वह ब्राह्मण पुरोहित जयपुर राज्य का मंत्री बनाया गया। इस ब्राह्मण पुरोहित के मन्त्री काल में लक्ष्मणसिंह आमेर की राजधानी में आया। उसने लक्ष्मणसिंह के बढ़ते हुए प्रभुत्व को देखकर अपने सम्बन्ध में अनेक प्रकार की चिन्तायें की। वह सोचने लगा कि लक्ष्मण सिंह के विरुद्ध कोई ऐसा कार्य होना चाहिये जिससे जयपुर के राजा के साथ उसका विरोध उत्पन्न हो जाये। इस प्रकार की अनेक बातें सोच कर प्रधानमंत्री ब्राह्मण ने गुप्त रूप से खण्डेला पर। आक्रमण करने के लिए राज्य की सेना को आदेश दिया। इस समय उसने सिद्धानी सामन्तों को भी अपने पक्ष में कर लिया और राज्य की सेना के साथ उन सामन्तों की सेनाओं को मिलाकर उसने खण्डेला पर आक्रमण करने के लिए भेजा। लक्ष्मण सिंह उन दिनों में जयपुर में ही था। उसे जब यह मालूम हुआ तो उसने पठान सरदार जमशेद खाँ को वहुत सा धन देकर खण्डेला की रक्षा करने के लिए भेजा। जयपुर की जो सेना खण्डेला पर आक्रमण करने के लिए गयी थी, प्रधानमंत्री ब्राह्मण उसके साथ था और खण्डेला पहुँचकर उसने मुकाम किया। पठान। , सरदार जमशेद खाँ ने अपनी सेना के साथ वहाँ पहुँच कर प्रधानमंत्री ब्राह्मण की सेना पर आक्रमण किया और उसके साथ की समस्त सामग्री और सम्पत्ति पर अधिकार कर लिया। ब्राह्मण मंत्री घबरा कर वहाँ से जयपुर की राजधानी की तरफ लौट आया। लक्ष्मणसिंह उस समय भी जयपुर में मौजूद था उसको कैद करने के लिए प्रधानमंत्री ने आज्ञा दी। उस आदेश का समाचार पाकर लक्ष्मण सिंह राजधानी छोड़कर भाग गया। क्योंकि उसके साथ उस समय केवल पचास अश्वारोही सैनिक थे। लक्ष्मण सिंह के भागने पर राजमंत्री मे कुछ दूर तक उसका पीछा किया। उसके बाद लोट कर वह राजधानी में आया और लक्ष्मण सिंह की समस्त सम्पत्ति और सामग्री पर अधिकार कर लिया। खण्डेला से इस प्रकार राज्य के प्रधानमंत्री और सिद्धानी सामन्तों के भागने पर खण्डेला से अभय सिंह की आशायें सदा के लिए खत्म हो गयी। शेखाजी के पुत्रों में सब से बडे राजा रायसाल के सात लड़के पैदा हुए थे। उनमें चौथे लड़के का नाम तिरमल था। राव की उपाधि लेकर उसने चौरासी ग्रामों और नगरों के साथ कासली का अधिकार प्राप्त किया था। तिरमल के पुत्र हरिसिंह ने फतेहपुर के कायमखानियों का बीलाडा नामक नगर लेकर उसकी अधीनता के एक सौ पच्चीस ग्रामों और नगरों पर अधिकार कर लिया था और उसके थोड़े दिनों बाद रेवासा एवं उसके पच्चीस ग्रामों और नगरों। को भी अपने अधिकार में कर लिया। हरिसिंह के लड़के शिवसिंह ने कायमखानियों के प्रधान । नगर फतेहपुर को विजय किया और उसके बाद वह उसी नगर में रहने लगा। शिवसिंह के लडके चॉदसिंह का शासन सीकर में था। उसके वंशज देवी सिंह ने अपने निकटवर्ती सम्वन्धी शाहपुर के ठाकुर के लड़के लक्ष्मण सिंह को, जिसका ऊपर उल्लेख किया गया है, गोद लिया था। देवीसिंह के समय भी सीकर की हालत अच्छी थी। लक्ष्मण सिंह ने उसको और भी उन्नत किया। खण्डेला पर अधिकार करने के पहले उसने अपने सामन्तों को 183