पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१९३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

वृद्धावस्था है। अब आपको पूर्ण रूप से विश्राम करने की आवश्यकता है। मैं चाहता हूँ कि आप राज्य के सुविधाजनक स्थान पर रहकर अपना शेष जीवन शान्तिपूर्वक बितावें। आपकी मर्यादा के अनुसार इस राज्य से आपको इतनी सम्पत्ति मिलती रहेगी, जिससे आप के सामने कभी कोई अभाव न रहेगा।" नवाब ने साधु की बातों को सुना। उसने साधु के अभिप्राय को आसानी से समझ लिया। शासन का अधिकार और प्रबन्ध साधु के हाथों में सौंप कर नवाब ने स्वयं अपने आप को शक्तिहीन बना लिया था। उसने सोचा कि इस मौके पर साधु का विरोध करना संकटपूर्ण हो सकता है। इसलिये नवाब झुंझुनूं से फतेहपुर, जिसकी आवादी झुंझुनूं से कुछ दूर थी, चला गया। वहाँ पर उसके वंश के कुछ लोग रहते थे और शासन करते थे। उन लोगों ने नवाब को अपने यहाँ सम्मानपूर्ण स्थान दिया और वे साधु को फतेहपुर राज्य से भगाने के लिए एक सेना की तैयारी करने लगे। इसका समाचार साधु को मिला। ऐसे मौके पर उसने अपने पिता से सहायता मांगी। वह अपने पुत्र साधु से अप्रसन्न था। लेकिन इस संकट के समय उसने अपने लड़के की सहायता करने का निश्चय किया। उसका एक दूसरा लड़का मिर्जा राजा जयसिंह के यहाँ अपनी सेना के साथ रहता था। जगराम ने अपने उस लड़के को लिखा कि वह तुरन्त जयपुर राज्य के राजा से सैनिक सहायता लेकर तुरन्त साधु के पास जावे और इस संकट के समय वह उसकी मदद करे। पिता के इस पत्र को पाकर जगराम का लड़का अपनी सेना के साथ जयपुर की सेना को लेकर रवाना हुआ और वह साधु के पास पहुंच गया। अपने भाई की सैनिक सहायता पाकर साधु ने सम्पूर्ण फतेहपुर में अपना अधिकार कर लिया और उसके अन्तर्गत ग्रामों और नगरों का शासन दोनों भाई मिलकर करने लगे। अपने भाई के परामर्श के अनुसार साधु ने जयपुर राज्य की अधीनता स्वीकार कर ली। इसके कुछ दिनों के वाद साधु ने सिंहाना पर भी अधिकार कर लिया। उसमें एक सौ पच्चीस ग्राम थे। उसके पश्चात उसने सुलतान नामक स्थान को अपने राज्य में मिला लिया। इन दिनों में लगातार वह अपने राज्य की सीमा को बढ़ाता रहा और खेतडी के राजा के समस्त ग्रामों को भी उसने अपने अधिकार में कर लिया। इन दिनों में सब मिलाकर एक हजार से अधिक ग्राम और नगर उसके अधिकार में हो गये थे। साधु के पाँच लड़के थे-(1) जोरावर सिंह (2) किशन सिंह (3) नवल सिंह (4) केशरी सिंह और (5) पहाड़ सिंह। साधु ने अपना सम्पूर्ण राज्य अपने पॉचों वेटो में बाँट दिया। उसके वंशज सिद्धानी नाम से प्रसिद्ध हुये। साधु के बड़े लड़के जोरावर सिंह ने अपने पैतृक राज्य के अतिरिक्त चोकेडी पर अधिकार कर लिया। उसमें बारह ग्राम थे। लेकिन साधु के मंझले लडके किशन सिंह के एक वंशज ने जोरावर सिंह के वंशजों के अधिकार से समस्त नगर और ग्राम ले लिये। उसके अधिकार में केवल चौकड़ी और उसके ग्राम रह गये। इतना सब होने पर भी किशन सिंह के वंशज मर्यादा में श्रेष्ठ माने जाते थे। साधु के शेप चार पुत्रों के वंशजों मे निम्नलिखित अधिक प्रसिद्ध हुये। (1) खतडी का अभय सिंह (2) विसाऊ का श्याम सिंह (3) नवलगढ का ज्ञान सिंह और (4) सुलतान का शेरसिंह। 185