पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२०३

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बूंदी का इतिहास हाड़ा वंश के आदि पुरुष से राव देवा तक का इतिहास राजस्थान में हाड़ौती हाड़ा वंश के राजपूतों का देश है। उसमें दो राज्य है, एक का नाम है बूंदी और दूसरे का नाम है कोटा। इन दोनों को मिलाकर पहले एक ही राज्य था, लेकिन तीन सौ वर्षो से यह राज्य दो भागों में विभाजित हो गया है। चम्बल नदी इन दोनों के बीच में प्रवाहित होती है और यही नदी दोनों राज्यों की सीमा हो गयी है। इन दोनों राज्यों में हाड़ा वंश के राजपूत रहते हैं। इस वंश के नाम से ही प्राचीन काल मे इस राज्य का नाम हाड़ौती रखा गया था। इस हाड़ौती देश के बूंदी-राज्य का इतिहास नीचे लिखा गया है। चौहान राजपूतों की चौबीस शाखायें हैं। हाड़ा उनकी एक प्रसिद्ध शाखा है। अजमेर के राजा माणिक राय का लड़का अनुराज इस शाखा का आदि पुरुप माना जाता है। माणिक राय ने सन् 685 ईसवी में सबसे पहले मुसलमानों के साथ युद्ध किया था। हाड़ा वंश के उस समय का इतिहास बहुत स्पष्ट नहीं है, उसकी अनेक घटनाये संदेहात्मक हैं। चन्द कवि ने उसके सम्बन्ध मे जो कुछ लिखा है, यद्यपि वह भी स्पष्ट नहीं होता, फिर भी हमें इस स्थान का वर्णन करने में उसी का आश्रय लेना पडा। परशुराम ने इक्कीस बार भयानक रूप से क्षत्रियों का संहार किया था। उसी समय कुछ क्षत्रियों ने अपने आपको कवि कहकर और उनमे से कुछ लोगों ने स्त्रियों का रूप धारण करके अपने प्राणों की रक्षा की थी। क्षत्रिय राजाओं का संहार करके परशुराम ने इस देश का शासन ब्राह्मणों को सौंप दिया था। नर्वदा नदी के किनारे माहेश्वर नगर के हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन ने परशुराम के पिता को मार कर क्षत्रियो के प्रति संवर्प को उपस्थित किया था और उसी के परिणामस्वरूप परशुराम ने एक तरह से क्षत्रियों का नाश किया था। ब्राह्मण शासन करना नहीं जानते थे। उनके अधिकार में अभिशाप और आशीर्वाद देने के ही दो गुण थे। इसलिए उनके हाथो में शासन आते ही चारों तरफ अराजकता का जन्म हुआ। सार्वजनिक जीवन की शांति मिटने लगी और अशान्ति की वृद्धि होने लगी। अन्याय और अत्याचार करने में किसी को भय न रहा। चारो ओर लुटेरों के भय बढ़ने लगे। अच्छे कामो का अंत हो गया, धार्मिक ग्रन्थ पैरों से कुचले जाने लगे। अत्याचारों के द्वारा भले आदमियों का जीवन संकटमय बन गया। शासन की अयोग्यता के कारण जितनी भी परिस्थितियों पैदा हो सकती हैं। ब्राह्मणों के शासन में वे सब उत्पन्न हो गयीं। 795