पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२६८

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राजा माधवसिंह ने कोटा का अधिकार प्राप्त करके उसकी सीमा में उन्नति की और सफलतापूर्वक उसने राज्य का विस्तार किया। माधवसिंह के मरने के पहले इस राज्य का विस्तार मालवा और हाडौती की सीमा तक हो गया था। सन् 1631 ईसवी में माधवसिंह की मृत्यु हो गयी। उसके पाँच लड़के थे। उनमे चार को कोटा में प्रधान सामन्तों का पद प्राप्त हुआ। माधवसिंह के वंशज माधानी नाम से प्रसिद्ध हुये। उसके पाँच लड़कों के नाम इस प्रकार हैं : 1 मुकुन्दसिंह, कोटा का राजा हुआ। 2. मोहनसिंह, इसको पलायता का अधिकार मिला। 3. जुझारसिंह को कोटरा और उसके बाद रामगढ़ रेलावन का अधिकार मिला। 4. कनीराम को कोइला का अधिकार मिला। इसके सिवा दिल्ली के बादशाह मं उसको देह और जोरा का अधिकार मिल गया। 5. किशारसिंह को सांगोद का अधिकार प्राप्त हुआ। माधवसिंह की मृत्यु के बाद उसका वड़ा बेटा मुकुन्दसिंह कोटा के सिंहासन पर बैठा। उसने अपनी सीमा पर हाड़ाती और मालवा के बीच एक रास्ते का निर्माण कराया और उसका नाम अपने नाम के आधार पर मुकुन्ददर्रा अथवा मुकुन्द द्वार रखा। इसी रास्ते से सन् 1804 ईसवी में अंग्रेज सेनापति मानसन की संना युद्ध में पराजित होकर भागी थी। कोटा के इतिहास में मुकुन्दसिंह की प्रशंसा की गई है। उसने अपने राज्य में कई एक मजबूत दुर्ग और तालाव वनवाये थे। आणता नामक स्थान की सुदृढ़ दीवारें उसी की वनवाई हुई हैं। राजा मुकुन्दसिंह अपने पूर्वजों की तरह साहसी और शूरवीर था। जिन दिनों मे वादशाह औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को कैद कर लिया था और मुगल सिंहासन पर वैठने के लिए उसने युद्ध आरम्भ किया था, उस समय प्रायः सभी राजपूत राजाओं ने उसका विरोध करके वादशाह की तरफ से युद्ध किया था। जिन राजाओं ने शाहजहाँ का साथ दिया था, उनमें राठौर हाड़ा वंश के राजा प्रमुख थे। कोटा के राजा माधवसिंह के लड़कों ने निभीकता के साथ वादशाह शाहजहाँ के पक्ष का समर्थन किया और उज्जैन के निकट होने वाले युद्ध में औरंगजेब के साथ युद्ध किया। उस युद्ध में औरंगजेब की विजय हुई। उसने उस स्थान का नाम जहाँ पर युद्ध हुआ था-फतेहाबाद रखा। औरंगजेव की प्रवल सेना के साथ युद्ध करके माधवसिंह के पाँचों लड़कों ने अपनी वीरता का परिचय दिया। यद्यपि वे राजनीति कुशल औरंगजेब की चालों के कारण विजयी न हो सके। परन्तु वे युद्ध से भागे नहीं और वहीं पर अपने प्राणों की वलि देकर चार लड़कों ने अपने वंश का मस्तक ऊँचा किया। उस युद्ध में सबसे छोटा लड़का किशोरसिंह भयानक रूप से घायल हुआ। लेकिन वह किसी प्रकार उन घावों को सेहत करके युद्ध के बाद जीवित बच सका और फिर दक्षिण के युद्ध में वीजापुर का युद्ध करते हुए उसने अपने रण-कौशल का परिचय दिया था, लेकिन मुगल बादशाह के यहाँ उसके इन वलिदानों को सम्मान न मिला। राजा मुकुन्दसिंह बुद्ध में मारा गया। इसलिये उसका लड़का जगतसिंह कोटा के सिंहासन पर बैठा। दिल्ली के बादशाह ने उसको अपने यहाँ दो हजार सेना पर मनसवदार 262