पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२९२

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अपने नवीन स्थान में रहकर जालिम सिंह ने कृपकों की दशा को समझने का कार्य आरम्भ किया। उसने गुप्त रूप से सम्पूर्ण राज्य में इस बात का पता लगाया कि पटेलों ने किस प्रकार किसानों के साथ वेईमानी करके अत्याचार किया है। इसके सम्बन्ध में उसने बड़ी कठोरता के साथ खोज की और जब उसके अनुसन्धान का कार्य समाप्त हो गया तो उसने राज्य के समस्त पटेलों को अपने यहाँ वुलाया। उन लोगों के आने पर जालिम सिंह ने अपने ईमानदार कर्मचारियों के द्वारा एक चिट्ठा तैयार करवाया, जिसमें इस बात के विवरण लिखे गये कि किस पटेल के अधिकार में कितनी भूमि है और वह कितने किसानों से कर वसूल करता है। साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया गया कि इन पटेलों में आर्थिक अवस्था किसकी कैसी हैं और प्रत्येक पटेल की वार्पिक आमदनी क्या है। इस प्रकार अनुसन्धान का कार्य करके और राज्य का एक विस्तृत लेखा तैयार करके जालिम सिंह खेतों और कृपकों की अवस्था को देखने और समझने के लिए अपना निवास स्थान छोड़कर बाहर निकला। उस भ्रमण में उसने इस बात का भी एक लेखा तैयार करवाया कि राज्य में कहाँ और कितनी भूमि वर्पा पर निर्भर है और कितनी भूमि को नदियों का पानी मिलता है । इस लेखे में सभी प्रकार की भूमि को समझने की कोशिश की गयी और ईमानदारी के साथ इस बात का हिसाव तेयार किया गया कि राज्य की कितनी भूमि उपजाऊ, कम उपजाऊ और अनुपजाऊ है। जालिम सिंह ने इस बात का भी एक हिसाव तैयार करवाया कि पिछले कुछ वर्षों से किसानों से वसूल होने वाली मालगुजारी प्रति वर्ष किस प्रकार रही है। किस किसान से कितना कर लिया जाना चाहिए था और कितना लिया गया है। इस प्रकार अनुसन्धान का कार्य समाप्त करके जालिम सिंह ने आदेश दिया कि अव किसानो से पैदा होने वाला अनाज न लेकर नकद रुपये लिये जाएंगे। जालिम सिंह ने इस प्रकार भूमि का कर निश्चित करके कर वसूल करने वाले पटेलो के परिश्रम का निर्णय किया और आदेश दे दिया कि प्रत्येक पटेल को अपने अधिकार की भूमि पर डेढ़ आना प्रति बीघा के हिसाव से कर देना होगा। पटेलों से वसूल होने वाला यह कर किसानों के कर की अपेक्षा बहुत कम रखा गया। इसके साथ ही उसने इस बात का भी आदेश दिया कि निर्धारित कर की अपेक्षा यदि कोई पटेल किसी किसान से अधिक कर वसूल करेगा तो उसके अधिकार की समस्त भूमि उससे छीनकर राज्य में मिला ली जाएगी। इस व्यवस्था के अनुसार किसानों से पटेलों को कर वसूल करने का भार जो दिया गया, वह पाँच हजार से पन्द्रह हजार रुपये तक वार्पिक था। इस नयी व्यवस्था से राज्य के पटेल बहुत असन्तुष्ट हुये और उन्होंने राज्य में पुरानी व्यवस्था को लाने के लिए न केवल कोशिशें की, बल्कि दस हजार, वीस हजार, पचास-पचास हजार रुपये तक रिश्वत में दिये। इससे राज्य को काफी रुपये की आमदनी हुई और एक-एक बार में दस-दस लाख रुपये राज्य के खजाने में रखे गये। कोटा राज्य की भूमि पर नयी व्यवस्था लागू हो जाने के बाद किसानों को बहुत सन्तोप मिला। उन्होंने विश्वास कर लिया कि हम लोगों पर अब तक पटेलों के अत्याचार होते थे, वे अब न हो सकेंगे। लेकिन इस प्रकार की व्यवस्था के बाद पटेलों ने जो लम्वी रिश्वतें दी 286