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पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३३

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कर जैसलमेर से कुछ दूरी पर जाकर रहने लगा। वहाँ पर उसके लाखनसी नाम का एक लड़का पैदा हुआ। इस लाखनसी के रणिगदेव नाम का एक बालक पैदा हुआ। वयस्क होने पर खरल वंशी एक राजपूत के साथ मिल कर उसने एक पड़यंत्र आरम्भ किया। उसने जोहिया लोगों से मिल कर मरोट और जाति के अधिकारों से पूगल राज्य छीन कर अपना राज्य कायम किया और थोरी लोगों के राजा को कैद कर लिया। उसने पूगल में अपने परिवार के लोगों को रखा। राव रणिगदेव के सहदोल नामक एक लड़का पैदा हुआ। सन् 1276 ईसवी में जैतसी जैसलमेर के सिंहासन पर बैठा। मूलराज और रत्नसी नाम के दो वालक उसके पैदा हुए। मूलराज के पुत्र देवराज ने जालौर के सोनगड़े वंशी राजा की लड़की के साथ विवाह किया। वादशाह मोहम्मद खूनी ने मन्डोर के परिहार राणा रूपसी के राज्य पर आक्रमण किया। राणा रूपसी ने उससे पराजित होकर अपनी बारह लड़कियों के साथ जैसलमेर में आकर आश्रय लिया। यहाँ आने पर उसे परिवार के साथ वारू नामक स्थान पर रखा गया। देवराज के तीन वालक पैदा हुए-जवन, सिखन और हमीर। हमीर अत्यन्त शूरवीर था। उसने मेहवा के कंपो हुसैन पर आक्रमण किया और वहाँ की बहुत सी सम्पत्ति लूटकर वह अपने साथ ले आया। हमीर के तीन बालक पैदा हुए-जैतू, लूनकर्ण और नीरो। इन दिनों में मोहम्मद गौरी ने भारत के राजाओं के साथ युद्ध आरम्भ कर दिया था। मुलतान और ठट्ठा उस समय दिल्ली के वादशाह अलाउद्दीन के अधिकार में थे। इन दोनों नगरों पर आक्रमण करके और वहाँ की लूटी हुई सम्पत्ति और सामग्री पन्द्रह सौ घोड़ों और पन्द्रह सौ खच्चरों पर लादकर भक्खर से दिल्ली के बादशाह के पास भेजी गयी थी। इसका समाचार जेतराव के लड़के को मिला। उसने उस सम्पत्ति को लूट लेने का निश्चय किया। उसने अपने साथ सात सौ अश्वारोही और बारह सौ ऊँटों पर सवार सैनिकों को लेकर चलने की तैयारी की और छिपे तौर पर वह अपनी सेना को लेकर उस रास्ते पर पहुँच गया, जहाँ से होकर लूट की सम्पत्ति दिल्ली जाने को थी। पंचनद में एक नदी के समीप पहुँच कर उसने देखा कि जो सम्पत्ति और सामग्री दिल्ली जा रही है, उसकी रक्षा में चार सौ मुगल और चार सौ पठान सवारों की सेना है। भाटी लोगों ने बादशाह की सेना के पीछे पहुँचकर कुछ दूरी पर मुकाम किया। उनसे कुछ फासले पर आगे बादशाह की सेना ने मुकाम किया था। रात को मुगलों और पठानों के सो जाने पर भाटी लोगों ने एक साथ उन पर आक्रमण किया और उनको मारकर उनके साथ की सम्पूर्ण सम्पत्ति वे लोग जैसलमेर ले आये। बादशाह के जो सैनिक वच गये थे, उन्होंने वादशाह के पास जाकर इस लूट का हाल बताया। वादशाह ने इस घटना को सुनकर भाटी राजकुमार से वदला लेने के लिए आदेश दिया और वादशाह की फौज जैतसी पर आक्रमण करने के लिए तैयार होने लगी। यह समाचार जैसलमेर पहुँचा और यह भी मालूम हुआ कि जो सेना आक्रमण करने के लिए आ रही है, वह अजमेर के निकट सागर तक पहुंच चुकी है। यह सुनकर जेतसी ने भी अपने यहाँ सेना को तैयार होने की आज्ञा दी। वहाँ के दुर्ग में बहुत दिनों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की गयी और उसके सभी रास्ते मजबूत पत्थरों से वन्द करवा दिये गये। साथ ही दुर्ग के भीतर 27