पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३६७

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नसले को जी और लिभीर होने मेरो तरफ देलवर : "जला पने हनको आर लैब दीजिये।" मैंने उसकी बात के धान के साथ सुना और जसजसार देखा गया कहजर व्ह गर्भार हो जा। मैंने उत्तो उत्तर देते हुए जहा: "आप लोगों ने उस पर दूसरों को क्यों अधिकार स्ले दिया था?" इस प्रकार कहकर मैंने उसकी तरफर एक बार देखा और उसको कर देने का अवसर न देकर मैंने फिर कहा : "आधी शताब्दी तक सीसोदिया राजपूत को सोते रहे और उन दिनों में उनकी तलवार कहाँ चली गयी थी। भगवान का मह निगम नहीं है कि पहा का यह निकटवर्ती प्रदेश मेवाड़ में ही मिला रहे।" कृष्णदास गम्भीरतापूर्वक मेरी बातों को सुन रहा था। उसको समझाते हुए गौर उसको बात का उत्तर देते हुए मैंने फिर कहना आरम्भ किया। पकृति ने मेवाड़ और मारनायकी सीमा को अलग-अलग करने के लिए गोड़वाड़ा की प्रतिष्ठा की है। गहाँ से दोनों राज्यों की सीमा की जानकारी होती है। कदाचित् यह न्याय और निर्णय प्रकृति की ओर से हुआ है। दूत कृष्णदास मेरी बात को सुनकर उत्तेजित हो उठा और उसने मेरी तरफ ए. बार देखकर स्वाभिमान के साथ कहा : "इस प्रकार दोनों राज्यों के बीच की सीमा का प्रसारण होने पर गोड़वाड़ा हम लोगो का है और वह सदा हम लोगों का होकर रहा है। प्रालि गोड़वाडा के द्वारा मेवाड़ की सीमा को निर्धारित नही किया, बल्कि खाने और पीने जित) भी अच्छे पदार्थ होते हैं, प्रकृति ने मेवाड को देखकर उसकी सीमा अलग कर दी है। इस स्थान से जब आप आगे बढ़ेंगे तो मेवाड़ की भूमि में ये सभी फल आपको मिलोंगे, STED देखकर और पाकर आप प्रसन्न होंगे, लेकिन मेवाड की सीमा को पार कर जना जाप मारणार की तरफ जायेगे तो वहाँ की भूमि में आपको यह कुछ नहीं मिलेगा।" ____ यह कहकर राजा का दूत कृष्णदास मेरी तरफ देखने लगा और उसके बाद 30 एक गहरी सॉस लेकर और मेरी तरफ देखकर कहा : "आँवला आँपला गेगात, मन्नूल सरल मारवाड।" कृष्णदास ने कुछ ठहर कर फिर कहा : "ऑवले का पका हुआ गीलाल जाही तक दिखायी देता है, वहाँ तक मेवाड़ की भूमि है, मेवाड़ की सीमा को प्रकृति अलग कर दिया है। उसकी सीमा का निरूपण गोड़वाड़ा के द्वारा हो नहीं हैं।" कृष्णदास की इन बातों को मैं चुपचाप सुन रहा था। 12 13 1 1 1 11 कहा : "मारवाड के लोग अपने बबलो का सुख भोगें, हमको उसकी TREAM तो आपसे अपने ऑवला के हमारे ऑयले म frif ||" कृष्णदास की या 'क में सुनता रह|| Samrif; चुप हो गया। मेन गम्भीर खा। में गाया गाnitarium मेवाड और मारवाड़-पी पर छोटी-सी नदी