पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३७८

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नाम के दो इलाके हैं और वे दोनों इलाके दो अलग-अलग सामन्तों की अधीनता में हैं। इधर कुछ दिनो से उन दोनो सामन्तो मे आपसी द्वेप की आग जल रही है। जिसके कारण वे दोनों एक दूसरे को मिटाने में लगे हुये हैं और इन परिस्थितियों के कारण उनमे जो लडाइयाँ चल रही हैं उनके फलस्वरूप रोहिट के सामन्त की दशा बहुत खराव हो गयी है। यहाँ पर एक घटना का उल्लेख जरूरी मालूम होता है। पाइमा नामक एक व्यापारी रोहिट के इलाके में नमक का व्यवसाय करता है और उसके द्वारा बहुत-सा नमक आता है। एक-दूसरे व्यापारी के साथ उसका झगड़ा हो गया। उस झगड़े मे उसके सिर में चोट आयी। जख्मी दशा में वह परिवार के लोगो के पास गया। झगड़ा करने वाले दोनों व्यापारी भाट जाति के है और पाइमा भूमानिया भाटों का प्रधान है।* बोझा ढोने के लिए पाइमा के पास चार हजार पशु हैं। व्यापार न होने के दिनों में वह अपने पशुओं को लेकर दूसरे स्थानों में चला जाता है। पाइमा का जिस व्यापारी के साथ झगड़ा हुआ था, उसका नाम श्यामा था। श्यामा ने मौका पाकर पाइमा के बहुत से छकडों पर अधिकार कर लिया और पाइमा के सिर पर चोट पहुँचा कर उसको जख्मी कर दिया था। झगड़े का फैसला करने के लिए जब यह मुकदमा पेश किया तो उसी पक्ष की विजय हुई और श्यामा के अधिकार ले लिए गए। ऊपर यह लिखा जा चुका है कि राजस्थान में चारण और भाट लोग ही व्यापारिक माल के संरक्षक बनाये जाते हैं। लेकिन अगर वे अत्याचार और अन्याय करते हैं तो वे संरक्षक के पद से हटा दिये जाते हैं। उपरोक्त पाइमा के पूर्वजों के साथ राणा अमर सिंह का एक झगडा हुआ था। वह घटना इस प्रकार है कि पाइमा के पूर्वज भाट लोगों ने अपने शुल्क को कम करने के लिए राणा अमर सिंह से प्रार्थना की। लेकिन राणा ने उस प्रार्थना को मन्जूर नहीं किया। इस दशा में प्रार्थी भाट लोग बहुत अप्रसन्न हुए और वे लोग अपनी स्वयं की हत्याए करके राणा को ब्रह्महत्या का भय दिखाने लगे। इन भाटो का यह पुराना तरीका था और इस प्रकार का भय दिखाकर वे राज्य से उचित और अनुचित लाभ हमेशा उठाया करते थे। इस अवसर पर भी उन्होने वैसा ही किया और राणा अमर सिंह से साफ-साफ कहा कि अगर आप हमारी प्रार्थना को मन्जूर नहीं करेगे तो हम लोग आत्महत्या कर लेगें और आप ब्रह्महत्या के पापी होगे लेकिन अमर सिंह ने उनकी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। राणा के द्वारा प्रार्थना स्वीकार न होने पर भाट लोग बहुत क्रोधित हुये और उन्होने आपस मे परामर्श करके अपने पुराने अस्त्र का प्रयोग किया। भाट वंश के अस्सी स्त्री पुरुषो ने राणा के महल के सामने पहुंचकर कटारों से अपनी आत्महत्यायें कीं। इसलिए कि इन ब्रह्महत्याओ का अपराध राणा को लगे, इस अपराध के कारण राणा जाति से च्युत किया जाये और मरने पर उसको नरक का भोग करना पड़े इसलिए भाटो ने अपनी हत्याये की। इस बात को सभी जानते थे कि भाट की हत्या के पाप से मनुष्य को लोक और परलोक दोनो में नरक भोगना पड़ता है। लेकिन राणा अमर सिंह पर इसका कोई प्रभाव न भूमानिया नामक स्थान मे रहने के कारण उन लोगों का नाम भृमानिया भाट पड़ा है। . 372