पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३७९

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पड़ा। क्योंकि वह जानता था कि एक वार ऐसा करने से ये लोग रोजाना इस प्रकार की प्रार्थनायें किया करेंगे और किसी प्रार्थना के पूरा न होने पर ये लोग अपने इसी अस्त्र का प्रयोग करेंगे। यह समझ कर राणा अमर सिंह ने उनकी आत्महत्याओं की कुछ परवाह न की और जो भाट वाकी रह गये थे, उनको राज्य से निकाल कर उनके भूमानिया इलाके पर अधिकार कर लिया और इस बात का आदेश कर दिया कि आज के बाद एक भी भूमानिया भाट राज्य में नहीं आ सकता। राणा अमर सिंह के उस आदेश का पालन अव तक मेवाड राज्य में होता था। लेकिन जिस समय राणा भीम सिंह ने घोपणा की कि मेवाड़ राज्य की भागी और निकाली हुई प्रजा फिर इस राज्य में रह सकती है, उस घोपणा को सुनकर भूमानिया भाट फिर मेवाड़ में आकर रहने लगे। पाइमा के पूर्वज जिस कारण से मेवाड़ राज्य से निकाले गये थे, वह सब को मालूम है और मेवाड़ पाइमा को भली प्रकार जानता है। लेकिन अपना मतलव निकालने के लिए वह उस पुरानी घटना को भुलाये रहता है। अगर उसकी प्रार्थना कोई स्वीकार न करे तो वह उसके वंदले आत्म हत्या के लिए धमकी देता रहता है और इसके लिए वह अपनी कमर में सदा तलवार वाँधे रहता है। भाटों के शाप का जिस प्रकार प्रचार है, उसको जानते हुये भला कौन आदमी उनकी हत्या का कारण बनेगा। श्वामा के मुकदमे में उसकी विजय अधिक कर देने के कारण हुई थी। वह उस मुकदमे में विजयी तो हो गया लेकिन उसे अधिक कर न देना पड़े इसके लिए उसने राणा भीम से प्रार्थना की और जब राणा ने उसकी प्रार्थना को मन्जूर न किया तो वह अपने हाथ में कटार लेकर राजा के सामने आत्म-हत्या करने के लिए तैयार हो गया। राणा भीम सिंह अमर सिंह की तरह साहसी और निर्भीक न था। पाइमा की होने वाली आत्म-हत्या को सुनकर वह घबरा उठा और उस मामले मे उसने मुझको मध्यस्थ बनाया। राणा का एक दूत इस समाचार को लेकर मेरे पास आया और उसने पूरी घटना वताकर मुझसे कहा कि इसका निर्णय करने के लिए राणा ने आपको मध्यस्थ नियुक्त किया है। इस समाचार को सुनकर राणा के दूत के साथ मैंने अपना एक नौकर भेजा और उसके पाइमा को वुलवाया। पाइमा के आने पर उसका मोटा ताजा शरीर मैंने देखा । वह देखने में सुन्दर और साहसी मालूम होता था। उसके आने पर मैंने उससे बातें करना आरम्भ किया और उसके मुख से पूरी घटना को सुनकर मैंने उससे कहा : "जो कोई व्यवसाय का माल लेकर मेवाड़ के राज्य के भीतर से निकलेगा, उनको राज्य को निर्धारित कर देना पड़ेगा। इसके लिए अगर आप लोग आत्म-हत्या का भय दिखाने के लिए तैयार होंगे तो उसका कोई नतीजा न निकलेगा। राज्य की तरफ से कर वसूल करने की जो व्यवस्था की गयी है और जिस पर जो कर लगाया गया है, उसके अनुसार उसको कर देना पड़ेगा। अगर आप इस नियम के अनुसार कर देने के लिए तैयार होंगे और इस बात को लिखकर स्वीकार करेंगे तो बोझा उठाने वाले आपको चालीस हजार मे पॉच सो बैलो का कर माफ कर दिया जाएगा और भूमिया में रहने के लिए आपको आंज्ञा मिल जाएगी। इसके सिवा आप दूसरी कोई आशा न रखे।" द्वारा मैंने .. 373