अध्याय-52 जैसलमेर का पतन अचानक विश्वासघात के द्वारा घडसी के मारे जाने पर उसकी विधवा रानी विमलादेवी ने केहर को गोद लेने की घोपणा की थी और जैसलमेर के राज्य सिंहासन पर उसे बिठाया था। सती होने के पहले उसने यह निर्णय भी कर लिया था कि हमीर के दोनों पुत्र केहर के उत्तराधिकारी होंगे। उसके इस निर्णय के कारण, केहर के आठ पुत्रों के होने पर भी, उसके उत्तराधिकारी हमीर के दोनों वेटे-जैतसी और लूनकर्ण माने गये। परन्तु सिंहासन पर बैठने का अवसर आने के पहले ही जैतसी पूगल के युद्ध में भाई लूनकर्ण के साथ मारा गया और उसके कोई बेटा न था। इसलिए लूनकर्ण के वंशज उस राज्य के अधिकारी बने। लूनकर्ण के तीन बेटे थे। (1) हरराज (2) मालदेव और (3) कल्याणदास। केहर की मृत्यु के बाद लूनकर्ण का वड़ा वेटा हरराज जैसलमेर राज्य का अधिकारी था। परन्तु उसकी मृत्यु केहर के जीवन काल में ही हो चुकी थी। इसलिए उसका इकलौता बेटा भीम वहाँ के राज सिंहासन पर बैठा। लूनकर्ण के वंशजों का वर्णन निम्न प्रकार है। लूनकर्ण हरराज मालदेव कल्याणदास मालदेव भीम केतसी मनोहरदास -- । नाथू दयालदास रामचन्द्र सबल सिंह भीम की मृत्यु के पश्चात् उसका बेटा नाथू जैसलमेर के सिंहासन पर बेठा। राज्याधिकार प्राप्त करने के थोड़े ही दिनों के बाद नाथू बीकानेर की राजकुमारी के साथ विवाह करने के लिए गया और वहाँ से लौटने पर जैसलमेर राज्य के फलौदी नगर में जब वह ठहरा हुआ था, कल्याण दास के बेटे मनोहर ने राज्य के लोभ में एक स्त्री के द्वारा उसको विप खिलाया, जिससे उसकी मृत्यु हो गयी। नाथू की इस प्रकार मृत्यु हो जाने पर मनोहरदास वहाँ के सिंहासन पर बैठा। उसने अपने बेटे रामचन्द्र को राज्य का अधिकारी बनाने की वड़ी चेष्टा की। परन्तु उसको सफलता न मिली और उसके बाद लूनकर्ण के मंझले बेटे मालदेव का 41
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