प्रदेश में यात्रा करना कितना संकटमय होता है। जयसिंह देसिर का एक कुआ पचास पुरुपा गहराई में जाकर पानी देता है। इसी प्रकार धात की बस्ती का कुआ और गिरप कुआ साठ पुरुपा के नीचे पानी देता है। हमीर देवरा के कुए में सत्तर और जिञ्जियाली के कुए में पछत्तर से अस्सी पुरुपा तक की गहराई में पानी मिलता है। पराजित होकर सम्राट हुमायूँ के भागने का इतिहासकार फरिश्ता ने जो वर्णन किया है, वह अत्यन्त रोमाञ्चकारी है उसने लिखा है- "सम्राट हुमायूँ अपने साथ के लोगों को लेकर मरुभूमि की तरफ भागा। वहाँ पर सैकड़ों कोस की लम्बाई-चौड़ाई में केवल बालू थी। उस मरुभूमि में पानी न मिलने के कारण सम्राट और उसके साथियो को भयानक कष्ट हुआ। कितने ही लोग प्यास के कारण त्राहि-त्राहि करने लगे और कुछ लोग जमीन पर गिर गये। तीन दिनों तक लगातार पानी की एक बूंद से भेट न हुई। चौथे दिन उनको एक कुआ मिला। उसका पानी बहुत गहराई में था। पानी का बरतन बैलों के द्वारा खींचा जाता था और जो आदमी वैलो के द्वारा उस पानी को खींचता था, उस बरतन के ऊपर आ जाने पर ढोल बजाकर लोगों को सूचना दी जाती थी। उस कुए के पास पहुँचने पर सम्राट और उसके साथी प्यास के कारण अधीर हो उठे थे और बिना किसी नियंत्रण के उनका प्रत्येक आदमी पानी के लिए चिल्ला रहा था। जल का वरतन ऊपर आते ही सबके सब एक साथ पानी पीने की चेप्टा करने लगे। कुए के ऊपर पानी के पहुंचते ही एक साथ बहुत से आदमी उस पर टूट पडे। उस समय तक पानी का वरतन कुए के ऊपर निकालकर रखा भी न गया था। इसका परिणाम यह हुआ कि बहुत-से आदमी कुए में गिर गये। इसके दूसरे दिन जो लोग कुए में गिरने से बच गये थे, उनको पानी का एक छोटा-सा नाला मिला। साथ के ऊँटों को पानी पीने के लिए उस नाले की तरफ कर दिया गया। विना पानी के उन ऊँटों के कई दिन बीत गये थे। इसलिए अधिक पानी पी जाने के कारण उनमें से कुछ ऊँट मर गये। इस प्रकार अकथनीय कष्टों को सहता हुआ सम्राट हुमायूँ अपने बचे हुये साथियो के साथ अमरकोट पहुंचा। वहाँ के राजा ने इस प्रकार की विपद मे पड़े हुये सम्राट हुमायूँ की सभी प्रकार से सहायता की। इन कष्टों के साथ सम्राट हुमायूँ जिस राज्य में पहुंचा था, उसकी राजधानी अमरकोट में थी और इसी अमरकोट में हुमायूँ के लड़के अकबर ने जन्म लिया। अकबर जब अपनी माता के गर्भ मे था, उसी समय से उसके जीवन में भयानक विपदायें आरम्भ हुईं। जन्म लेने के बाद उसको और उसके माता-पिता को संसार में टिकने के लिए कहीं स्थान न मिल रहा था। ये विपदायें सम्राट हुमायूँ और अकबर के जीवन में बहुत दिनों तक रही। उनके फलस्वरूप अकवर भारतवर्ष का महान् सम्राट बना।" दुर्भाग्य के दिनों में मरुभूमि की तरफ भागकर और किसी प्रकार प्राणों की रक्षा करके सम्राट हुमायूँ ने जहाँ आश्रय लिया था, उसका राजा नाम मात्र के लिए अमरकोट का शासक था और चार गाँवों का अधिकारी था। अमरकोट धात-राज्य की राजधानी है। यह राज्य प्राचीनकाल से प्रमार राजपूतों के अधिकार में चला आ रहा था। वहाँ पर सोढ, ओमरूसुमुरा जाति के लोग अधिक संख्या में पाये जाते हैं । इधर बहुत दिनों से ओमरूसुमुरा को मिलाकर इस राज्य के उत्तरी थल का नाम ओमुर सुमरा हो गया है और अब इसी नाम से प्रसिद्ध है। 78
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