सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/१०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

के साथ जब कभी कोई उपकार करता है तो वह राजपूत अपने जीवन भर उनके प्रति कृतज्ञ होकर रहता है। उसका विश्वास है कि उपकारी के प्रति कृतघ्नता करने से अथवा उसके उपकारों को भूल जाने से दूसरे जन्म में साठ हजार वर्ष तक नर्क में रहना पड़ता है। राजपूत लोग जिन धार्मिक पुस्तकों को पढ़ते हैं उनमें इस प्रकार के वर्णन बहुत स्पष्ट और विस्तार से किए गये हैं। राजपूतों के चरित्र की श्रेष्ठता का बहुत कुछ ज्ञान हमको उन प्रसिद्ध इतिहासकारों के ग्रंथों से होता है, जिन्होंने सम्राट अकबर, जहाँगीर और औरंगजेब के राज्यों का इतिहास लिखा है। उन इतिहासकारों ने साफ-साफ इस बात को स्वीकार किया है कि साम्राज्य के निर्माण में मुगलों की असीम सफलता का कारण राजपूतों के साथ उनकी मित्रता थी। राजपूतों के द्वारा मुगल बादशाहों को बहुत से युद्धों में विजय मिली थी। जिस आसाम को पराजित करने के लिए आजकल अंग्रेजी सेना युद्ध कर रही है, उसे किसी समय जयपुर के राजा मानसिंह ने पराजित किया था और अराकान तथा उड़ीसा को जीतकर वहाँ पर उसने अपनी विजय की पताका फहराई थी। कोटा का राजा रामसिंह मुगल बादशाह के लिए कई युद्धों में लड़ा था और सफलता प्राप्त की थी। उन युद्धों में उसके पाँच भाईयों के साथ, उसका प्यारा पौत्र ईश्वरीसिंह भी लड़ते हुए मारा गया था। 109