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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/११३

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अध्याय-12 बालक गोह से बप्पा रावल तक का इतिहास म्लेच्छों के आक्रमण में वल्लभीपुर का विनाश हुआ और उसका राजा सेना के साथ मारा गया। उसकी बहुत-सी रानियाँ थीं। रानी पुष्पावती के सिवा सभी रानियाँ राजा शिलादित्य के साथ सती हुईं । विन्ध्य पर्वत के नीचे की भूमि में चन्द्रावती नाम का एक राज्य है, उसमें परमार वंश में वह उत्पन्न हुई थी और राजा शिलादित्य के साथ उसका विवाह हुआ था। राजा के मारे जाने के कुछ समय पहले से ही रानी गर्भवती थी और म्लेच्छों के आक्रमण के पहले वह अपने पिता के यहाँ चली गई थी। जिस दिन राजा शिलादित्य का अन्त हुआ, रानी पुष्पावती अपने पिता के यहाँ किसी देवी के मन्दिर में पूजा करने गयी थी। जब वह पूजा करके लौटी तो रास्ते में उसने बल्लभीपुर के विनाश और राजा के मारे जाने का समाचार सुना, रानी को असह्य आघात पहुँचा । उसके साथ में अनेक सहेलियाँ थीं। उस समय उन्होंने उसकी सहायता की। रानी गर्भवती होने के कारण उस समय सती होने का निर्णय न कर सकी और तपस्वी जीवन व्यतीत करने के लिये मलिया नाम की एक गुफा में चली गयी। उसी गुफा में उसके पुत्र उत्पन्न हुआ। मलिया शैलमाला के पास वीर नगर नाम की एक वस्ती थी। उसमें कमलावती नामक एक ब्राह्मणी रहती थी। रानी ने उस ब्राह्मणी को बुलाकर अपना पुत्र सौंपा और चिता बनाकर उसमें वह जलकर खाक हो गयी। चिता पर बैठने के पहले उसने जव कमलावती ब्राह्मणी को अपना पुत्र सौंपा तो उससे उसने कहा। कमला, यह पुत्र तुम्हारा है और तुम इसकी माता हो। अपना पुत्र समझकर तुम इसका पालन-पोषण करना और ब्राह्मणाचित शिक्षा देकर इसके बड़े होने पर किसी राजपूत कन्या के साथ इसका विवाह कर देना । कमलावती स्त्री थी। पुत्र को प्यार करना वह जानती थी। रानी के सती हो जाने के वाद कमला ने बालक का पालन अपना पुत्र समझकर किया। वालक गुफा में पैदा हुआ था और गुफा को वहाँ के लोग गुहा कहते थे। इसलिये कमला ने उस पुत्र का नाम गोह रखा। गोह अपने जीवन के आरम्भ से ही चंचल और ढीठ स्वभाव का था। बड़े होने पर उसकी ये आदतें बढ़ने लगीं। उसका मन खेल-कूद में अधिक लगता और कमला के रोकने की वह कुछ परवाह न करता। उसे जो बातें सिखायी जाती थीं, उनको भी वह सुनता न था । उसे जो शिक्षा दी जाती, उसकी तरफ उसका ध्यान न जाता। आरम्भ से, ही चिड़ियों को पकड़ना और उनको मार डालना उसके लिए साधारण वात थी। कुछ दिनों के बाद धने: 113