पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/११५

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बुप्पा के बचपन के सम्बन्ध में अनेक प्रकार की किंवदन्तियाँ सुनने और जानने को मिलती हैं, जैसी कि आम तौर पर अन्य प्रसिद्ध पुरुषों के सम्बन्ध में कही जाती हैं। जिन ब्राह्मणों के संरक्षण में बप्पा दिया गया था, वह उन ब्राह्मणों के पशुओं को चराया करता और प्रसन्न रहता । भुट्ट ग्रंथों में लिखा है कि राजपूतों में शरद ऋतु के दिनों में झूलों का उत्सव बड़े उत्साह और आनन्द के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव में सभी लड़के और लड़कियाँ शामिल होते हैं। उन दिनों में नागेन्द्र नगर में सोलंकी राजपूतों का राज्य था। उस वर्ष के झूला उत्सव में भाग लेने के लिए राजा की लड़की अपनी अनेक सखियों और सहेलियों के साथ गयी । वहाँ पहुँचने पर मालूम हुआ कि झूला डालने की रस्सी नहीं है। इसलिए अपनी सखियों के साथ राजकुमारी इधर-उधर देखने लगी। उसी समय वप्पा वहाँ पर घूमता हुआ पहुँच गया। राजकुमारी ने बप्पा से झूले के लिए रस्सी ला देने की बात कही। बप्पा ने उत्तर देते हुए कहा- “यदि तुम मुझसे विवाह कर लो तो मैं रस्सी ला दूंगा।” उपस्थित लड़कियाँ झूलने के लिए उत्सुक हो रही थीं। राजकुमारी ने अपनी सखियों की तरफ देखा और सभी ने हँसकर वप्पा की बात को स्वीकार कर लिया। उसी समय वहाँ पर विवाह की रचना होने लगी। राजकुमारी का दुपट्टे से वप्पा के पहने हुए कपड़ों की गाँठ बाँध दी गयी और सभी सखियाँ एक दूसरे के हाथ पकड़ कर घेरा बना कर खड़ी हो गयीं। जहाँ पर वे खड़ी थीं, बीच में एक आम का वृक्ष था। घेरा बनाये हुए लड़कियाँ उस वृक्ष के आस पास घूमने लगी और राजकुमारी के साथ बप्पा का विवाह हो गया। उसके बाद झूला उत्सव आरम्भ हुआ और उत्सव के बाद सखियों के साथ राजकुमारी अपने महल में चली गयी। सभी लड़कियाँ बाद में विवाह की इस घटना को भूल गयीं। राजकुमारी विवाह के योग्य हो चुकी थी। इसलिए उसके पिता ने उसके विवाह की तैयारी शुरू कर दी। इसी अवसर पर एक दिन राजा को एक ज्योतिषी ने राजकुमारी का हाथ देखकर बताया कि राजकुमारी का विवाह तो हो चुका है। इस बात को सुनते ही सवको वड़ा आश्चर्य हुआ। लेकिन कुछ देर के लिए सभी लोग चुप हो गये। विवाह के इस रहस्य को जानने के लिए राजा ने अपने मंत्रियों से कहा और इस रहस्य को पता लगाने के लिये राज्य के गुप्तचरों को आदेश दिया गया। यह सम्वाद बप्पा ने भी सुना । भविष्य में आने वाले संकट का अनुमान लगाकर उसने अपने साथियों से वातें की। उसके सभी साथी उससे बहुत प्रेम करते थे। इसलिए उनके द्वारा किसी आशंका की सम्भावना न थी। फिर भी बप्पा ने उनसे एक प्रतिज्ञा कराने के लिए एक छोटा-सा गड्डा खोदा और पत्थर का एक टुकड़ा लेकर उसने अपने साथियों से कहा- “तुम सभी लोग यह शपथ लो कि सुख-दुःख में तुम लोग हमारे साथ रहोगे और प्राण जाने की घड़ी आ जाने पर भी तुम लोग मेरी किसी बात को किसी से भी प्रकट नहीं करोगे। लेकिन अन्य लोगों की जो वातें मालूम होंगी वे तुम सभी मुझसे कहोगे। शपथ लेने के बाद भी यदि तुम लोग मेरे साथ विश्वासघात करोगे तो तुम सभी के पूर्वजों के पुण्य प्रताप इस पत्थर की तरह धोबी के गड्ढे में मिल कर नष्ट हो जायेंगे।1 इतना कह कर बप्पा ने हाथ में लिये पत्थर के टुकड़े को उस गड्ढे में डाल दिया। उसके बाद बप्पा के सभी साथियों ने उसके कहने के अनुसार शपथ ली और कभी अपनी शपथ के विरुद्ध कोई काम नहीं किया। लेकिन बप्पा के साथ सोलंकी राजकुमारी के विवाह की वात उसके पिता से छिपी न रही और यह जाहिर हो गया कि राजकुमारी के विवाह की घटना जिसके साथ हुई है,वह बप्पा ही है। राजपूत लोग धोवी के गड्ढे को बहुत अपवित्र मानते हैं और इस प्रकार के गड्डे नदियों के किनारे खोदे जाते 1. 115