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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/१४३

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अध्याय-16 महाराणा मोकर तक का वर्णन यदि स्त्री के प्रति पुरुष की भक्ति और उसके सम्मान को कसौटी माना जाये तो एक राजपूत का स्थान सबसे श्रेष्ठ माना जायेगा। वह स्त्री के प्रति किये गये असम्मान को कभी सहन नहीं कर सकता और इस प्रकार का संयोग उपस्थित होने पर वह अपने प्राणों को बलिदान कर देना अपना कर्त्तव्य समझता है । जिन उदाहरणों से इस प्रकार का निर्णय करना पड़ता है, उससे राजपूतों का सम्पूर्ण इतिहास ओत-प्रोत है। जीवन की परिस्थितियों को पार करते हुए राणा लाखा का वुढ़ापा आ गया था। इन्हीं दिनों में मारवाड़ के राजा रणमल्ल ने चित्तौड़ राज्य के उत्तराधिकारी राजकुमार धुंडा के साथ अपनी लड़की का विवाह करने के लिए राणा लाखा के पास अपना दूत भेजा। दूत की बात को सुनकर राणा लाखा ने कहा-“राजकुमार चुंडा कुछ समय में यहाँ पर आने वाला है। इसके सम्बन्ध में वह स्वयं आकर अपनी स्वीकृति देगा। इसके बाद अपनी दाढ़ी पर हाथ रखते हुए राणा ने दूत से फिर कहा-“मैं इस प्रकार की कल्पना नहीं करता कि तुम मेरे जैसे सफेद दाढ़ी मूंछ वाले आदमी के लिए इस प्रकार खेल की सामग्री लाये हो।" इसी समय राजकुमार चुंडा दरवार में आया और दूत के प्रस्ताव को सुनकर उसने कहा-“यद्यपि पिता ने परिहास में इस सम्वन्ध को अपने लिए माना है, फिर भी मेरे लिए यह कैसे सम्भव है कि मैं उस सम्बन्ध को स्वीकार कर लूँ।” चूंडा के इस जवाब को राणा ने सुना और उसने उसको समझाना आरम्भ किया। परन्तु राजकुमार की समझ में एक भी बात न आयी। इस दशा में राणा के सामने भयानक संकट पैदा हो गया। राजकुमार विवाह को स्वीकार करने के लिए किसी प्रकार तैयार न था और सगाई के लिए आया हुआ नारियल लौटा देने से मारवाड़ के राजा रणमल्ल का अपमान होता था। राणा ने राजकुमार को फिर समझाने की चेष्टा की। लेकिन राजकुमार तैयार न हुआ। इस परिस्थिति में राजा रणमल्ल को अपमान से बचाने के लिए राणा ने स्वयं अपने साथ विवाह करना मंजूर किया और राजकुमार चूंडा से कहा- “तुम्हारे मंजूर न करने पर मैं स्वयं यह विवाह करूंगा। लेकिन इस बात को याद रखो कि उससे यदि लड़का पैदा हुआ तो वह इस राज्य का उत्तराधिकारी होगा और उस दशा में तुम्हारा कोई अधिकार न रहेगा।” राजकुमार चूंडा ने पिता की इस बात को स्वीकार किया। राजा रणमल्ल की वारह वर्षीय लड़की के साथ पचास वर्ष की अवस्था में राणा ने विवाह किया और उससे जो लड़का पैदा हुआ, उसका नाम मोकल रखा गया। मोकल की पाँच वर्ष की अवस्था में राणा लाखा गया में अपनी सेना लेकर युद्ध करने गया था, जब 143