सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/१६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अपमानजनक व्यवहारों को सहन करते रहे। परन्तु कर्मसिंह के साथ राणा का गंदा व्यवहार वे सहन न कर सके और आपस में सलाह करके राणा को सिंहासन से उतार देने का उन लोगों ने निश्चय किया। इस निर्णय के अनुसार चित्तौड़ के सरदारों ने पृथ्वीराज से उत्पन्न होने वाले बनवीर की खोज की और उसके पास पहुँचकर सरदारों ने चित्तौड़ का सव समाचार सुनाया। बनवीर को यह अच्छा न मालूम हुआ कि राणा विक्रमाजीत को सिंहासन से उतारा जाये और उसके बाद मुझे उस पर विठाया जाये। परन्तु सरदारों के आग्रह को उसे स्वीकार करना पड़ा। सरदार लोग वनवीर को चित्तौड़ ले आये और राणा विक्रमाजीत को सिंहासन से उतार कर वनवीर को उस सिंहासन पर बिठाया। उस समय मेवाड़ राज्य के उन सभी लोगों को प्रसन्नता हुई,जो राणा से असंतुष्ट थे। 165