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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२१

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राजपूत जातियों का ऐतिहासिक परिचय अध्याय-1 मनुष्य जाति का इतिहास मध्य और पश्चिमी भारत की वीर राजपूत जातियों का इतिहास लिखने के समय सबसे पहले यह जानना जरूरी होता है कि उनकी उत्पत्ति कहाँ से हुई, इस पर सावधानी के साथ खोजकर लिखा जाये । इस छानबीन के लिये मैंने हिन्दुओं के पौराणिक ग्रन्थों को प्राप्त किया और एक पण्डित मण्डली के द्वारा उनको समझने का काम किया। उस मण्डली का प्रधान पती ज्ञान चन्द्र नामक व्यक्ति था। इन पुराणों में इस देश के ऐतिहासिक और भौगोलिक वर्णन पाये जाते हैं। लेकिन इस प्रकार की सामग्री को जुटाने में भागवत, स्कन्द, अग्नि और भविष्य पुराण अधिक सहायता करते हैं। इन पौराणिक ग्रन्थों में इतिहास और भूगोल की जो सामग्री मिलती है वह एक-सी नहीं है। कुछ बातों में इन ग्रन्थों के वर्णन एक दूस के विरोधी हो जाते हैं परन्तु इस प्रकार के विरोध राजाओं के नामों और उनकी संख्या सम्बन्ध में ही अधिक पाये जाते हैं । ऐतिहासिक वर्णन में कोई मतभेद नहीं है। सृष्टि की उत्पत्ति के सम्बन्ध में हिन्दुओं के ग्रन्थों का वर्णन बहुत कुछ उसी प्रकार का है, जिस प्रकार संसार की अन्य जातियों ने इसके सम्बन्ध में वर्णन किया है। सभी जातियों के ग्रन्थों के अनुसार, सृष्टि की उत्पत्ति महाप्रलय के बाद से आरम्भ होती है । इस उत्पत्ति के सम्बन्ध में हिन्दुओं के ग्रन्थ अग्नि पुराण में बहुत कुछ लिखा है। ब्रह्मा की आज्ञा से समुद्र ने समस्त संसार को नष्ट कर दिया। उस समय वैवस्वत मनु (नूह), जो कि हिमालय पर्वत के पास रहा करता था, कृतमाला नदी में देवताओं को जलान्जलि दे रहा था, अकस्मात् उस समय उसके हाथ में एक छोटी-सी मछली आ गयी। उस समय वैवस्वत मनु को सुनाई पड़ा-'इसकी रक्षा करो।' मछली ने बढ़ना आरम्भ किया और उसने विशाल काया धारण कर ली । वेवस्वत मनु अपने पुत्रों, स्त्रियों और तपस्वियों के साथ समस्त जीवधारियों का वीर्य अपने साथ लेकर उस नाव पर बैठ गया जो उस मछली के सींग में बंधी थी। इस प्रकार वे सब बच गये । यहाँ पर उत्तर की एक विशाल पर्वत श्रेणी का वर्णन मिलता है, जिसके करीब वैवस्वत मनु रहा करता था, जिससे संसार के समस्तु मनुष्यों की उत्पत्ति हुई है। उस मनुष्य को हिन्दुओं के ग्रन्थों में वैवस्वत मनु, कहा गया है जिसे हिन्दू सूर्य का पुत्र मानते हैं और ईसाई लोग उसको नूह के नाम से मानते हैं, लिखा गया है। उन लोगों का विश्वास है कि महाप्रलय में नूह वच गया था और उसी के बाद से संसार में मनुष्यों की उत्पत्ति हुई है। भविष्य पुराण में लिखा है "वैवस्वत मनु जो सूर्य का पुत्र था, सुमेरू पहाड़ पर राज्य करता था। उसके वंश में ककुत्स्थ नामक राजा की उत्पत्ति हुई। उसने अयोध्या के राज्य पर अधिकार किया और उसके वंशज धीरे-धीरे संसार में फैल गये।" 21