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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२२

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इस सुमेरु पर्वत को ब्राह्मण महादेव, आदिश्वर और वाघेश का निवास स्थान मानते हैं और जैनियों का कहना है कि आदिनाथ अर्थात् प्रथम जिनेश्वर के रहने का स्थान सुमेरू पर्वत पर था। उनके अनुसार यह भी मालूम होता है कि वहीं पर मनुष्यों को खेती और सभ्यता की शिक्षा दी गयी थी। यूनानी लोग सुमेरू पर्वत को बैंकुस का निवास स्थान मानते हैं। उन लोगों में एक प्रचलित कथा का सार इस प्रकार है “बैंकस जुपीटर की रानी से उत्पन्न हुआ था।" मनुष्य जाति के इतिहास के सम्बन्ध में हिन्दुओं और यूनानी लोगों का एक ही विश्वास हैं। दोनों जातियों के प्राचीन ग्रन्थ एक ही प्रकार का निर्णय करते हैं। उनके ग्रन्थों से मालूम होता है कि संसार के समस्त मनुष्यों की उत्पत्ति एक ही आदमी से हुई और उस आदमी के नाम भिन्न-भिन्न जातियों ने अलग लिखे हैं। वास्तव में आदीश्वर, असिरीश, वाघेश, कस, वैवस्वत मनु और मीनस आदि सभी नाम उस आदि पुरुष नूह के ही हैं, जिससे मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई । हिन्दुओं के ग्रन्थ मनुष्य की उत्पत्ति का स्थान पश्चिम में काकेशस पर्वत के मध्य में स्वीकार करते हैं। वैवस्वत मनु, जो उनके अनुसार इस सृष्टि का आदि पुरुष था, वहीं पर रहा करता था। उसके वंशज वहाँ से चल कर पूर्व की ओर सिन्धु नदी और गंगा के किनारे आये और कौशल में अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया, जो अव अवध के नाम के प्रसिद्ध है। उस समय हिन्दू और ग्रीक जाति में कोई भेद न था। सव मिल कर एक ही स्थान पर रहते थे और एक जैसा जीवन व्यतीत करते थे। मध्य एशिया के जिस भाग से आमू, आक्सस, जेहून और दूसरी नदियाँ प्रवाहित हुई हैं, उसी पर्वतीय स्थान को सूर्य और चन्द्रवंशी लोगों ने अपना आदि स्थान स्वीकार किया है। इन सव वातों से सावित होता है कि संसार के सभी मनुष्यों का मूल स्थान एक ही था और वाद में वहीं से लोग पूर्व की तरफ आये। संसार की सभी जातियाँ उसे अपना जन्म स्थान स्वीकार करती हैं। राजपूतों के स्वभावों और उनकी आदतों से भी इस बात का साफ-साफ पता चलता है कि वे और शक लोग किसी समय एक थे और ठंडे प्रदेश में एक साथ रहा करते थे। इसका प्रमाण यह है कि शक लोगों की सभी बातें राजपूत जातियो में पायी जाती हैं। शीत प्रधान देश के रहने वाले शकों के स्वभाव और उनकी आदतों को अपना लेना गर्म देश के निवासियों के लिये संभव न था। शक लोगों की वीरता, उनकी आदतें और उनके विश्वास राजपूतों में पूर्ण रूप से देखने को मिलते हैं। अनेक प्रकार की सामाजिक प्रथाओं के साथ-सथ अश्वमेघ यज्ञ की प्रथा भी राजपूतों में वही है जो शक लोगों में पाई गई है। इन सव वातों का साफ अर्थ यह हैं कि आरंभ में वहुत थोड़े से मनुष्य संसार में थे और वे विना किसी भेद और विचार के एक ही स्थान पर रहकर अपना जीवन व्यतीत करते थे। 1. प्रसिद्ध इतिहासकार सर वाल्टर रेले ने अपने ग्रन्थ 'हिस्ट्री ऑफ दि वर्ल्ड' में लिखा है- जल प्रलय के बाद सबसे पहले भारत में ही वृक्षों और लताओं की उत्पत्ति हुई और मनुष्य की आवादी शुरू हुई। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि मूसा ने जिस अरारट पर्वत का जिक्र किया है उसका अर्थ जर्मनी भाषा में पर्वत माला है। वह स्थान काकेशस (कोहकाफ) की पर्वतमाला के हिस्से में रहा होगा । वह स्थान उस पर्वत माला की पूर्व दिशा में होना चाहिए। सर वाल्टर रेले के अनुसार , मनु का निवास स्थान भारत और शाकद्वीप के बीच में होना चाहिए । 22