अनुसार तीनों राजाओं ने साँभर झील को अपने-अपने राज्यों की सीमा मान ली और उससे होने वाली आमदनी को तीनों आपस में बाँट लेते थे। राजपूतों की इस बढ़ती हुई शक्ति को देखकर वादशाह फर्रुखसियर ने विरोध करने का निश्चय किया और इसके लिए अलीरुलउमरा एक मुगल सेना के साथ अजितसिंह से युद्ध करने के लिए मारवाड़ की तरफ रवाना हुआ। उसी अवसर पर वादशाह फर्रुखसियर ने छिपे तौर पर एक पत्र अजितसिंह के पास भेजा और उसमें लिखा कि हमारे सेनापति सैयद को उसके हमले का पूरा फल मिलना चाहिए । वादशाह फर्रुखसियर ने जो इस प्रकार का पत्र अजितसिंह के पास भेजा था, उसका कारण यह था कि वह दोनों सैयद वन्धुओं से बहुत दवा हुआ था और अपने आपको नाम का वादशाह समझता था। उसके इस पत्र का कोई लाभ उसको न हुआ। मारवाड़ के राजा अजितसिंह ने मुगल सेनापति अमीरुलउमरा के साथ संधि कर ली और एक निश्चित कर देने के साथ-साथ अपनी लड़की का विवाह बादशाह के साथ करने का वादा कर लिया। इस विवाह के होने के कुछ दिन पहले वादशाह फर्रुखसियर की पीठ में एक फोड़ा निकला। वह धीरे-धीरे बढ़ गया । हकीमों और जर्राहों की बहुत चिकित्सा के बाद भी उसमें कुछ लाभ न पहुँचा। एक तरफ बादशाह को उस फोड़े का कष्ट था, जो दिन पर दिन भयानक होता जा रहा था और दूसरी तरफ उसके विवाह के जो दिन करीब आ रहे थे। इलाज करते-करते और भी कुछ दिन बीत गये। विवाह का जो दिन नियत हुआ था, वह दिन भी निकल गया, लेकिन बादशाह का फोड़ा ठीक न हुआ। उन दिनों में ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत में व्यवसाय करने के लिए आयी थी और उस कम्पनी के अंग्रेज सूरत में मौजूद थे। उन अंग्रेजों में हेमिल्टन नाम का एक डाक्टर भी था। उसने जब बादशाह को बीमार सुना तो वह देखने गया । फोड़े की हालत देखकर उसने घबराये हुए बादशाह को अनेक तरह की बातें समझाई और अपनी चिकित्सा करने का उसने इरादा जाहिर किया। बादशाह की आज्ञा पाकर उस अंग्रेज डाक्टर ने फोड़े की चिकित्सा आरम्भ की। उसके इलाज से थोड़े ही दिनों में फोड़ा अच्छा हो गया। स्वस्थ होने के बाद बादशाह फर्रुखसियर ने डाक्टर हेमिल्टन को इनाम देने का इरादा किया। बादशाह के इस इरादे को सुनकर डाक्टर हेमिल्टन ने कहा कि "मुझे इस चिकित्सा के बदले बादशाह का लिखा हुआ वह फरमान मिलना चाहिए, जिससे हमारी कम्पनी को इस राज्य में रहने का अधिकार मिले और हमारे मुल्क इंगलैण्ड से आने वाले माल पर जो चुंगी ली जाती है, वह माफ कर दी जाये।" बादशाह डाक्टर हेमिल्टन की इस माँग को सुनकर -जिसमें किसी प्रकार के व्यक्तिगत स्वार्थ की भावना न थी और उसके एक-एक अक्षर से देशभक्ति की महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती थी- बहुत प्रभावित हुआ और उसने डाक्टर की माँग को स्वीकार किया। स्वस्थ हो जाने के पश्चात वादशाह ने मारवाड़ की राजकुमारी के साथ अपना विवाह किया। फर्रुखसियर दोनों सैयद वन्धुओं से बहुत असन्तुष्ट था। कुछ और न कर सकने की अवस्था में उसने औरंगजेब के पुराने मन्त्री इनायतउल्ला खाँ को अपना मन्त्री मुकर्रर किया । इनायतउल्ला खाँ ने अपने इस पद पर आते ही हिन्दुओं पर अनेक प्रकार के अत्याचार आरम्भ किये और जजिया टैक्स उसने फिर से कायम किया। बादशाह औरंगजेब के पाय में यह टैक्स हिन्दुओं पर लगाया गया था। उसका एक संशोधित रूप इनायतउल्ला खाँ ने अपने मन्त्री काल में फिर से हिन्दुओं में आरम्भ किया। इसके सिवा और भी अनेक प्रव के भीषण अत्याचार उस समय हिन्दुओं के साथ आरम्भ किये गये। 263
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