मानसिंह को गोद लिया और वह उसके उत्तराधिकारी होने की घोषणा करने लगी। विजय सिंह उसके हाथों की कठपुतली था। उसने अपनी बुद्धि नष्ट कर दी थी और आँखें बन्द करके वह अपनी उप पत्नी के आदेशों का पालन करता था। उस युवती ने इसका खूब लाभ उठाया। उपपत्नी के आज्ञानुसार, विजयसिंह ने अपनी राजधानी में समस्त सामन्तों को बुलाकर एकत्रित किया और उसने मानसिंह को राज्य का उत्तराधिकारी मानने के लिये उनको आदेश दिया। सामन्तों की समझ में ऐसा करना विधान और न्याय के विल्कुल विरुद्ध था। इसीलिये सामन्तों ने साहस करके स्पष्ट रूप से आदेश को मानने से इन्कार कर दिया। विजयसिंह ने सामन्तों की इस बात की बिल्कुल परवाह न की उसने पण्डितों और पुरोहितों को बुलाकर शास्त्र की रीति से दत्तक पुत्र मानसिंह को अपना उत्तराधिकारी स्वीकार किया और उसका जो वास्तविक पुत्र था, वह राज्य के उत्तराधिकार से वंचित कर दिया गया। राजा विजय सिंह के वंशज अभयसिंह बख्त सिंह आन्नद रूपसिंह देवीसिंह सिंह ईडर मालवा पोकरण में गोद में गोद में गोद लिया गया लिया लिया गयलिया गया रामसिंह विजयसिंह | सावन्त सिंह शेर सिंह भीम सिंह गुमान सिंह सरदार सिंह भीम के द्वारा मारा गया शूर सिंह फतेहसिंह जालिम- छोटी- आयू सिंह मृत्यु विजयसिंह का उत्तराधि- कारी राजा विजय सिंह के वंशजों की ऊपर जो नामावली दी गयी है, उसके पढ़ने से मालूम होता है कि राजा विजयसिंह का उत्तराधिकारी जालिम सिंह था, जिसके अधिकारों की अवहेलना करके उसने अपनी उप पत्नी के दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी माना था। उस युवती को उप पली बनाने के बाद उसका भयानक पतन हुआ। उसके परिणामस्वरूप अपनी उपपली को प्रसन्न रखने के लिए वह उचित और अनुचित सभी प्रकार के कार्य करता था। उसके इस नैतिक पतन में अराजकता की भयानक वृद्धि हुई थी। विजय सिंह के कुशासन की वर्तमान परिस्थितियों को देखकर राज्य के सामन्तों की चिन्तायें बढ़ने लगी। उन सब लोगों ने मिलकर और आपस में परामर्श करके निर्णय किया कि विजय सिंह को सिंहासन से उतारकर भीमसिंह को मारवाड़ का शासक बनाया जाये। इस निर्णय के अनुसार कार्य करने के लिए सामन्तों ने अपनी योजना बनायी। विजय सिंह 486
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