पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/४५६

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अध्याय-45 मानसिंह व ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा सहायता मानसिंह ने अपनी राजधानी में अमीरखाँ का बहुत आदर और सम्मान किया। योधागिरि के दुर्ग में सेना के साथ ठहरने का प्रबंध किया और वहुत-सी मूल्यवान चीजें उसे भेंट में दी। इसके बाद मानसिंह और अमीरखाँ में वातें होती रहीं। मानसिंह उसकी सहायता से सवाईसिंह और धौकल सिंह का विनाश करना चाहता था। उस बातचीत के सिलसिले में अमीरखाँ ने वादा किया कि मैं न केवल आप की सहायता करूँगा बल्कि सवाई सिंह को इस संसार से विदा कर दूँगा, जिससे उसके द्वारा फिर कभी आप का अनिष्ट न हो सके। अमीरखाँ की इस प्रतिज्ञा को सुनकर मानसिंह बहुत प्रसन्न हुआ। वह अमीर खाँ के पड़यंत्रों को भली प्रकार जानता था। उसने इस वातु का विश्वास कर लिया कि अमीर खाँ चाहे तो वह सब-कुछ कर सकता है। अमीर खाँ की चालों से ही जगत सिंह की शक्तियाँ छिन्न-भिन्न हुई और उसके फलस्वरूप मानसिंह जोधपुर के दुर्ग से बाहर निकल कर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा था। अमीर खाँ के वादे से उसे वहुत संतोप मिला और इस कार्य के लिए उसने तीन लाख रुपये अमीर खाँ को दे दिये। पोकरण के सामन्त सवाई सिंह ने अपने पितामह का बदला लेने के लिए मानसिंह के विरुद्ध धौकल सिंह के पक्ष का समर्थन किया और मानसिंह पर आक्रमण करने के लिए जयपुर के राजा जगतसिंह को उकसाकर उसने मारवाड़ राज्य का विध्वंस और विनाश कराया था। जगतसिंह के जोधपुर से चले जाने के वाद सवाई सिंह धौकल सिंह को लेकर जोधपुर से नागौर चला गया। उसके साथ अनेक राठौर सामन्त भी थे। वहाँ पहुँचकर जोधपुर पर एक नया आक्रमण करने के लिए सवाई सिंह एक योजना की तैयारी अमीर खाँ ने राजा मानसिंह से सवाई सिंह का सर्वनाश करने के लिए प्रतिज्ञा की थी और इस कार्य के लिए उसने तीन लाख रुपये मानसिंह से लिये थे। परन्तु वह जानता था कि सवाई सिंह भी कम षड़यंत्रकारी नहीं है। वह यह भी जानता था कि मारवाड़ के अधिक राठौर सामन्त उसके साथ हैं। इस दशा में युद्ध करके उसको परास्त करना आसान नहीं है। इसलिए सवाई सिंह को सर्वदा के लिए मिटा देने का उपाय वह सोचने लगा। अमीरखाँ को अपने लड़ने की शक्ति की अपेक्षा कूटनीति पर अधिक विश्वास था और उसी के लिए वह सर्वत्र प्रसिद्ध हो रहा था। बड़ी दूरदर्शिता के साथ कुछ सोच समझ कर वह अपनी सेना को लेकर जोधपुर से रवाना हुआ और नागौर से बीस मील की दूरी पर मूंधियाड में उसने अपनी सेना का मुकाम किया। यहाँ पहुँचकर उसने प्रचार किया कि राजा करने लगा। 502