, दशा में वीका के वंशजों को, जो आज बीकानेर के सिंहासन पर हैं, हमको अधीनता में लाने का अधिकार है। बीकानेर-राज्य की स्थापना करने के वाद सन् 1495 में वीका की मृत्यु हो गयी। उसने पूङ्गल के भाटी राजा की लड़की के साथ विवाह किया था। उससे लूनकरन और गडसी नाम के दो लड़के उत्पन्न हुये। बड़ा भाई होने के कारण लूनकरन पिता के सिंहासन पर बैठा। गडसी ने गडसीसर और अडसीसर नाम के दो नगर बसाये। उसके वंशधर गडसियोत बीका के नाम से आज तक प्रसिद्ध हैं और वे लोग गडसीसर अथवा गरीबदेसर नामक स्थान में रहते हैं। इन दोनों नगरों के अधिकार में चौवीस-चौबीस ग्राम हैं। लूनकरन ने सिंहासन पर बैठने के बाद बीकानेर के पश्चिम की तरफ भाटियों के राज्यों पर आक्रमण किया और उनको जीतकर अपने अधिकार में कर लिया। लूनकरन की इस सफलता के बाद उसके चार पुत्रों में से बड़े पुत्र ने महाजन नाम के राज्य के एक सौ चवालीस ग्रामों को अधिकार में लेकर स्वतन्त्र जीवन विताने की अभिलाषा जाहिर की। उसके पिता लूनकरन ने इस बात को स्वीकार कर लिया। बड़े पुत्र ने उन एक सौ चवालीस ग्रामों के सिंहासन का अधिकार अपने छोटे भाई जेतसी को दे दिया। सन् 1513 में लूनकरन की मृत्यु हो गयी। उसके बाद उसका बड़ा लड़का जेतसी उसके सिंहासन पर बैठा। जेतसी के दो भाइयों ने दो स्वतन्त्र राज्यों को जीतकर उन पर अधिकार कर लिया। जेतसी के तीन लड़के पैदा हुए- पहला कल्याणमल, दूसरा शिवजी और तीसरा अश्वपाल। जेतसी ने नारनोत के राजा पर आक्रमण करके और उसको पराजित करके नारनोत पर अधिकार कर लिया। और अपने दूसरे पुत्र सिरंग जी को वहाँ का अधिकारी बना दिया। बीदा के लड़कों ने नए उपनिवेश कायम किये थे। जेतसी ने उन उपनिवेशों पर प्रभुत्व कायम करके वीदा के लड़कों को कर देने के लिए विवश किया। उनको यह माँग मंजूर करनी पड़ी और वे अपने उपनिवेशों से वार्षिक कर देने लगे। सन् 1546 में जेतसी के मर जाने पर कल्याणमल पिता के सिंहासन पर बैठा। उसके शासन काल में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ। उसके तीन लड़के पैदा हुए, रायसिंह, रामसिंह और पृथ्वीसिंह। सन् 1570 में कल्याणसिंह की मृत्यु हो गयी। उसके स्थान पर रायसिंह सिंहासन का अधिकारी हुआ और उसी वर्ष में वह अपने पिता की गद्दी पर बैठा। उसके शासनकाल में बीकानेर की उन्नति आरम्भ हुई। इन दिनों में अकबर बादशाह दिल्ली के सिंहासन पर था। रायसिंह समझता था कि वादशाह अकबर ने राजस्थान के अनेक राजाओं को अधीनता में लाकर मुगल राज्य का विस्तार कर लिया है और वह दिन भी शीघ्र आ सकता है, जब मुगल सम्राट बीकानेर राज्य पर प्रभुत्व कायम करने की चेष्टा करे। उस समय शक्तिशाली मुगलों का सामना करना हमारे लिए बहुत कठिन हो जायेगा। इसलिए कि अब तक अनेक राजपूत राजा उसकी अधीनता को स्वीकार कर चुके हैं। इस अवस्था में सब से अच्छा यह होगा कि मुगल बादशाह के साथ पहले से ही मित्रता कायम कर ली जाये। रायसिंह के सिंहासन पर बैठने के समय तक जाट लोग राज्य के प्रति पूरे तौर पर राजभक्त बने रहे। परन्तु अव जाटों के साथ राज्य की तरफ से और विशेषकर राठौरों के - 538
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