व्यवहार बहुत कुछ वदल गये थे। इसका परिणाम यह हुआ कि जाट लोगों को जो अधिकार मिले थे, उनमें बहुत कमी आ गयी। उन अधिकारों से वंचित होने के बाद जाट लोग निरन्तर निर्वल होते जाते थे। इसका प्रभाव बीकानेर राज्य की शक्तियों पर पड़ा और रायसिंह को मुगल सम्राट के प्रभुत्व को स्वीकार करने के लिए विवश किया गया। जैसलमेर के राजा की एक लड़की का विवाह राजा रायसिंह के साथ हुआ था और उसकी दूसरी लड़की वादशाह अकवर को व्याही गयी थी। इस वैवाहिक सम्वन्ध के कारण रायसिंह के प्रति वादशाह अकवर का आकर्षण स्वाभाविक था। पिता की मृत्यु के बाद रायसिंह गंगा जी में पिता की हड्डियों को प्रवाहित करने के लिए गया था। वहाँ से लौटकर वह मुगलों की राजधानी में चला गया। वहाँ पर आमेर का राजा मानसिंह मौजूद था और उसने मुगल दरवार में बहुत सम्मान प्राप्त किया था। राजा मानसिंह ने रायसिंह की बादशाह अकवर से भेंट करायी और उसने वादशाह को रायसिंह का परिचय दिया। वादशाह अकवर रायसिंह से मिलकर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने रायसिंह को चार हजार अश्वारोही सेना का पदाधिकारी बना दिया। इसके साथ ही वादशाह ने रायसिंह को हिसार का शासक नियुक्त किया और राजा की उपाधि देकर वादशाह ने विशेष रूप से बीकानेर के नरेश को सम्मानित किया। इन्हीं दिनों में जोधपुर के राजा मालदेव के अप्रिय व्यवहारों के कारण वादशाह अकवर ने मारवाड़ पर आक्रमण किया और वहाँ के सम्पत्तिशाली राज्य नागौर को जीतकर उसका अधिकार रायसिंह को दे दिया। इस प्रकार वादशाह से लगातार सम्मानित होकर रायसिंह वीकानेर लौट गया और अपने राज्य में पहुँचकर उसने अपने छोटे भाई रामसिंह को एक राठौर सेना के साथ भाटी लोगों के प्रसिद्ध नगर भटनेर पर आक्रमण करने के लिए भेजा। रामसिंह ने वहाँ पहुँचकर भटनेर और उसके आस-पास के अनेक स्थानों पर अधिकार कर लिया। इसके बाद वह बीकानेर लौट आया। जोहिया के जाटों ने राठौरों की अधीनता स्वीकार करने के वाद बहुत समय तक किसी प्रकार का विद्रोह नहीं किया। लेकिन दिल्ली से लौटकर और वादशाह से सम्मानित होकर जव रायसिंह अपनी राजधानी को जा रहा था तो जोहिया के जाटों ने विद्रोह करने का इरादा किया। यह देखकर रायसिंह ने एक राठौर सेना उन पर आक्रमण करने के लिए भेजी। वीकानेर की उस सेना ने वहाँ पहुँचकर जोहिया के जाटों पर भयानक अत्याचार किया। उस आक्रमण में हजारों जाट जान से मारे गये और राठौर सेना ने उनके राज्य में भीषण रूप से नर-संहार किया। उस समय के विध्वंस और विनाश से जोहिया का राज्य सदा के लिए निर्वल और जन-शून्य हो गया। जोहिया राज्य के ग्रामों और नगरों में यूनान के सिकन्दर का नाम अव तक प्रसिद्ध है। दादूसर नामक स्थान में नष्ट-भ्रष्ट प्राचीन महल अव तक मौजूद है, जिसे लोग रंगमहल कहते हैं। कहा जाता है कि यूनान के सिकन्दर ने जव भारत पर आक्रमण किया था, उस समय उसने दादूसर में पहुँचकर उसके राजा को परास्त किया था और दादूसर का विध्वंस किया था। यह वात सही है कि सिकन्दर ने भारत में आकर अनेक राज्यों पर आक्रमण किया 539
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