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पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/८

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। रोम और यूनान के ऐतिहासिक ग्रन्थों की तरह हिन्दुओं के ग्रन्थों की आशा करना एक बड़ी भूल है। हिन्दुओं के समस्त ग्रन्थ जीवन का ऐसा स्रोत प्रवाहित करते हैं, जो वाकी संसार के साहित्य से बिल्कुल भिन्न है । इस अवस्था में हिन्दुओं का इतिहास भी कुछ इसी प्रकार का होना चाहिये । हिन्दुओं का साहित्य और उनकी संस्कृति संसार के दूसरे देशों से भिन्न है। हिन्दुओं के दर्शन-शास्त्र, उनकी कविता तथा उनके अन्यान्य ग्रन्थ उनकी स्वतन्त्रता का परिचय देते हैं। यही मौलिकता और स्वतन्त्रता उनके इतिहास में भी अधिक सम्भव है। क्योंकि उनके इतिहास की रचना की सम्भावना किसी अन्य प्रेरणा के आधार पर नहीं की जा सकती । हिन्दुओं के ग्रन्थों में धर्म की घनिष्ठता अधिक है। इसके साथ ही हमें यह स्वीकार करना चाहिये कि इंगलैंड और फ्रांस के साहित्य की गतिविधि जब तक योरोप के प्राचीन साहित्य की पुस्तकों के अध्ययन से ठीक नहीं की गयी थी, उस समय तक इन दोनों देशों का इतिहास ही नहीं बल्कि समस्त योरोप की सभ्य जातियों के इतिहास भी वैसे ही अव्यवस्थित और नीरस थे, जैसे कि प्राचीन राजपूत जाति के । भारत में ऐतिहासिक सामग्री का अभाव होने पर भी यहाँ बहुत से ऐसे ग्रन्थ पाये जाते हैं जिनके मंथन और संशोधन करने से इतिहास की सामग्री बहुत-कुछ एकत्रित की जा सकती है। इन ग्रन्थों में पुराण हैं जिनमें राजवंशों के वर्णन हैं, लेकिन कथाओं, रूपको और बहुत-सी असम्भव बातों के साथ मिल जाने से वे वर्णन अस्पष्ट हो गये हैं। उनके मंथन का कार्य आसान नहीं है। 'भारत की ऐतिहासिक सामग्री के लिये उनके युद्ध सम्बन्धी काव्य भी, सहायता करते हैं। लेकिन कविता और इतिहास दो चीजें हैं। साहित्य में दोनों की शैली अलग-अलग है। राजा और कवि के वीच स्वार्थ का एक समझौता रहता उसके फलस्वरूप कवि प्रशंसा के पुरस्कार में धन प्राप्त करता है और उसके ऐसा करने से ऐतिहासिक तत्वों की ईमानदारी में अन्तर आ जाता है। कवि का पक्षपात और विद्रोह दोनों ही इतिहास के लिए घातक है। वह अपनी दोनों अवस्थाओं में सत्य से दूर निकल जाता है । युद्ध सम्बन्धी काव्यों में इस प्रकार के दोप स्वाभाविक रूप से आते हैं। काव्य-ग्रन्थों में राजपूतों के इतिहास को इन दोपों से मुक्त नहीं समझा जा सकता। इसलिये ऐसे ग्रन्थों में मंथन और संशोधन की आवश्यकता अधिक है। इस प्रकार के दोषों के होने पर भी भारतीय भाटों की पुस्तकों से इतिहास की बहुत-सी सामग्री प्राप्त की जा सकती है। मन्दिरों के दान, भेंट और उनके निर्माण सुधार के सम्बन्ध में जो लेख मिलते हैं, उसमें भी इतिहास की बहुत-सी चीजें मिलती हैं। इसी प्रकार की खोज करने से धार्मिक स्थानों और कथाओं में भी बहुत सी चीजें ऐसी पायी जाती हैं, जो इतिहास लिखने में सहायता करती हैं। जैनियों की धार्मिक पुस्तकों में कुछ ऐतिहासिक चीजें पायी जाती हैं। इस देश की धार्मिक पुस्तकों में है