'चारुत्तर प्रथा' के नाम से प्रसिद्ध है। जिसको इस प्रकार की भूमि दी जाती है, उनके मर जाने के बाद राणा उस भूमि पर अधिकार कर लेता है। जिन लोगों को इस प्रकार की भूमि इस अधिकार के साथ दी जाती है कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी संतान उसकी अधिकारिणी होगी, ऐसे लोगों की भूमि को बिना किसी विशेष कारण के वापस नहीं लिया जाता। भूमि अधिकारी की मृत्यु हो जाने पर उसके उत्तराधिकारी का उस भूमि पर हक होता आर्थिक सहायता राज्य में कितने ही ऐसे अवसर आते हैं, जब राजा को धन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के अवसरों पर राजा साधारण प्रजा से उसकी आय का दसवाँ भाग लेने का अधिकारी होता है। अपने-अपने क्षेत्रों में सामन्त लोग भी ऐसा ही करते हैं। - इस प्रकार के अवसरों में राजा की लड़की का विवाह भी एक है। उसके व्यय के लिए साधारण प्रजा से सहायता ली जाती है। कई वर्ष पहले राणा की दो लड़कियों और एक लड़के का विर्वाह हुआ था। उन विवाहों के खर्च के लिये राणा ने सर्वसाधारण से उनकी आय का छठा भाग वसूल किया था। लेकिन प्रायः देखा जाता है कि ऐसे अवसरों पर सभी लोगों से धन एकत्रित नहीं हो पाता और अंत में राज्य के बहुत से लोग उससे छूट जाते हैं। ऐसे अवसरों पर निर्धन और धनी-सभी प्रकार के लोगों से धन संग्रह किया जाता है। वैवाहिक कार्यों से सम्बंध रखने वाले अवसर प्रजा के सामने बार-बार नहीं आते, अथवा बहुत देर में आते हैं। इसीलिये प्रजा इच्छापूर्वक उसके लिये तैयार रहती है। प्राचीन काल में सामन्त शासन-प्रणाली का जो विधान था, वह आज से अनेक बातों में भिन्न था । प्रसिद्ध इतिहासकार हालम ने लिखा है कि प्राचीन काल में किसी प्रकार का कर नहीं लिया जाता था। आवश्यकता के समय राजा लोग धन एकत्रित कर लिया करते थे। परन्तु प्राचीन काल का वह विधान अब मिट गया है और राजा सामन्तों से कर लेने लगा है। राजाओं की तरह सामन्त लोग भी अपनी लड़कियों के विवाहों में प्रजा से धन लेकर व्यय करते हैं। प्रजा को ऐसे अवसरों पर आर्थिक सहायता देनी पड़ती है। लड़कियों के विवाह में आर्थिक सहायता करना प्रायः लोग परमार्थ समझते हैं। फ्रांस की प्राचीन सामन्त शासन-प्रणाली में भी इसी प्रकार के नियम धन संग्रह करने के लिये काम में लाये जाते थे। धन संग्रह करने के और भी कितने ही अवसर राज्य के सामने आते थे। युद्ध के लिये भी धन संग्रह किया जाता है। शत्रुओं के आक्रमण करने पर अथवा संधि करके रुपये देने पर प्रजा से धन एकत्रित किया गता है, शत्रुओं के द्वारा बंदी हो जाने पर दंड स्वरूप धन देकर छुटकारा पाने के लिये राज्य में धन संग्रह किया जाता है। राजस्थान के राज्यों में ऐसे अवसर बार-बार आते थे, जब राज्य के सामन्त शत्रुओं के द्वारा बंदी हो जाते थे और उनके छुटकारे के लिए धन एकत्रित किया जाता था। जागीरदारी प्रथा का यह नियम प्राचीन काल में कदाचित यूरोप के राज्यों में न था, नहीं तो इंगलैंड के राजा रिचर्ड को बहुत दिनों तक बंदी अवस्था में आस्ट्रिया में न रहना पड़ता। नाबालिग सामन्त का संरक्षण किसी सामन्त की मृत्यु के बाद जब उसका उत्तराधिकारी नाबालिग होता है तो सामन्त शासन-प्रणाली के विधान के अनुसार उस नावालिग को अधिकारी घोषित कर दिया जाता है। परन्तु उसकी नाबालिग अवस्था में राणा 86
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