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पृष्ठ:राज्याभिषेक.djvu/१०५

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ने भारी सहायता दी। सगर ने हैहयों की सारी शाखाओं का मुलोच्छेद किया और अपना विराट राज्य स्थापित किया। इसका विवाह वैदर्भी केशिनी से हुआ था और उसकी वमान मे ६० हजार अजेय योद्धा थे। पीछे इसने कपिल को कुपित कर स्वनाश किया। इस वंश के तीन पीढ़ी के नरेशों अंशुमान, दिलीप और भगीरथ द्वारा चार नदियों को खोदकर और मिलाकर गंगा नाम दे मैदान में लाया गया। अंशुमान राजर्षि थे। अंशुमान ने राजसूय और अश्वमेध यज्ञ किया। भगीरथ के पीछे इस वंश का पता नहीं लगता। यह भी राम के पूर्वपुरुप न थे।

दक्षिण कोसल राज्य (वर्तमान रायपुर, विलास्पुर और सम्भलपुर के आस-पास मध्यप्रदेश में) की स्थापना खट्वांग दिलीप के पुत्र दीर्घबाहु (३५) के काल में किसी सूर्यवंशी राजकुमार ने, जिनका नाम आयुतायुस था, की। इन्हीं का नाम भगस्वर भी था। इनके पुत्र ऋतुपर्ण थे, जिनके यहां प्रसिद्ध नल छद्मवेश में अश्वपाल बन कर रहे। इस समय विदर्भ में भीमरथ यादव का राज्य था। नल उत्तर पांचाल के राजा मुद्गल के श्वसुर थे।

ऋतुपर्ण के पुत्र सुदास और प्रपौत्र कल्माषपाद थे, जो राक्षसों के संसर्ग से नरमांसभक्षी हो गए। इनके पुरोहित वसिष्ठ थे। विश्वामित्र के भड़काने से इन्होंने वसिष्ठ के पुत्र तथा सम्वन्धियों को खा डाला। वसिष्ठ से कल्माषपाद की रानी के पुत्र उत्पन्न हुआ। उसके बाद ही शायद वे उसे छोड़कर उत्तर कोसल चले आये।

कल्माषपाद के बाद दक्षिण कोसल की दो शाखाएं हो गयीं। १. अश्मक-उरकाम-मूलक (४२) २. सर्वकर्मन-अनराय-निघनअनमित्र (४३), निषद-विदर्भ, दक्षिण कोसल, चेदि और दशार्ण राज्य की सीमाएं परस्पर मिलती थीं।

पुराणों के अनुसार हरिश्चन्द्र वैवस्वत मनु का ३३वां और सगर ४०वां वंशधर प्रमाणित होता है। भगीरथ ४४वां, कल्पषपाद ५२वां, मूलक ५५वां तथा राम ६३वां। इस प्रकार ये सभी राम के पूर्ववती हो जाते हैं, परन्तु पुराणों ही के अनुसार उत्तर पांचाल नरेश सुदास मनु से केवल ४६वीं पीढ़ी पर हैं तथा इन्हीं सुदास के सगे पितामह सृज्जय की दो पुत्रियां राम के समकालीन सात्वत यादव के पौत्र भजमान को ब्याही हैं, फिर राम के मित्र अलर्क के पितामह प्रतर्दन ने वीतिहोत्र हैहय को जीता तथा सगर ने वीतिहोत्र के पौत्र और प्रपौत्र को। इधर विश्वामित्र हरिश्चन्द्र के पिता त्रिशंकु को यज्ञ कराते, हरिश्चन्द्र के यज्ञ से शुनःशेप को बचाते, ऋग्वेद में सुदास का यश गाते और राम को अस्त्र विद्या सिखाते

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