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पृष्ठ:राज्याभिषेक.djvu/१०७

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तक राज्य करता रहा। पीछे राक्षसों से परास्त हो हैहयों में मिल गया। हैहयों की पांच मुख्य शाखाओं में एक शर्यात भी थी। राम के काल में वहां मधु यादव राजा था। हरिवंश में यह कुन्त राज्य कहा गया है। सूर्यवंशी राजा युवनांश्व का भाई हर्यश्व मधु का दामाद था।

ऋग्वेद में सरयू नदी के तट पर पहली आर्य बस्ती बनने का उल्लेख है। विदेह में पहले दलदल था, माथव ने उसे देश बनाया, कोसल के उत्तर में हिमालय, पूर्व में सदानी राप्ती, दक्षिण में सई नदी, पश्चिम में पांचाल देश था। शाक्यों का साकेत राज्य कोसल के अन्तर्गत था। अयोध्या और श्रावस्ती सूर्यवंशियों की राजधानी थी। श्रावस्ती राप्ती के निकट सहेत-महेत है। कोसल राज्य कुरु-पांचाल से पीछे और विदेह से पूर्व महत्त्वपूर्ण हुआ। इक्ष्वाकुवंशी विशाला-वैशाली, मिथिला तथा कुशीनारा में राज्य करते थे।

मनु वैवस्वत, शर्याति, त्रसदस्यु, अम्बरीष और मान्धातृ वेदर्षि थे। इक्ष्वाकु का उल्लेख ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में है। मान्धातृ, यौवनाश्व गोपथ बाह्मण में हैं। पुरुकुत्स ऋग्वेद में वर्णित हैं। पुरुकुत्स इक्ष्वाकु हैं, त्रसदस्यु पुरुकुत्स के पुत्र हैं। त्रय्यारुण भी इक्ष्वाकु हैं। त्रिशंकु, हरिश्चन्द्र, रोहित इक्ष्वाकु हैं। भगीरथ, भाजेरथ, अम्बरीष, ऋतुर्ण, दशरथ और राम समर्थ पुरुष हैं। पुरुकुत्स, त्रसदस्यु, हरिश्चन्द्र, रोहित, ऋतुपर्ण आदि अयोध्या वाली सूची में वाल्मीकि ने गिने हैं, परन्तु वैदिक साहि य से प्रमाणित है, कि सूर्यवंशी उत्तर कोसल से भिन्न शाखा में से थे। कोसल और मिथिला के बीच सदानीरा राप्ती नदी थी। शतपथ के अनुसार विदेह राज्य माथव द्वारा स्थापित हुआ।

संक्षेप में सूर्यवंशी नरेशों में मनु, इक्ष्वाकुं, पुरंजय, मान्धातृ, त्रसदस्यु (ऋग्वेद में प्रशंसित), वृक, नाभाग, अम्बरीष, दिलीप, रघु, अज, दशरथ, राम, (मुख्य शाखा) हरिश्चन्द्र, रोहित, सगर, भगीरथ, ऋतुपर्ण, नाभागारि ट, कन्धम, अवीक्षित, मरुत्त, विशाल, शर्याति और यदु प्रसिद्ध हुए। इनमें मनु, इक्ष्वाकु, मान्धात, त्रसदस्यू, दशरथ, राम, हरिश्चंद्र, सीरध्वज सगर और भगीरथ अति प्रसिद्ध हए और उत्तर भारत में इनके नाम का डंका बजा। राम की सत्ता सर्वोपरि हुई। दशरथ ने तिमिध्वज शम्बर को, सुदासु ने वर्चिन को और राम ने रावण को जय करके राक्षसों और असुरों के तीन प्रमुख महाराज्यों को नष्ट कर दिया।

राम के समकालीन नृपति

उत्तर कोसल राज्य राम (३९), उत्तर कोसल : हरिश्चन्द्र शाखा—हरिश्चन्द्र या रोहिताश्व (३९-३८), राम के दायाद। उत्तर कोसल :

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