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पृष्ठ:राज्याभिषेक.djvu/२३

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कुलांगर विभीषण को नागपाश में बांध लाऊंगी। जैसे हथिनी कमलवन को कुचलती है, उसी भांति मैं उस भिक्षुक राम के सैन्य को आज कुचल डालूंगी।"

सब दैत्यबालाएं जोर से हुंकार भर अपने-अपने शस्त्र सजाने लगीं। धौं से बजने, घोड़े हिनहिनाने और हाथी चिंघाड़ने लगे।

सुलोचना एक सौ वीरांगनाओं सहित घोड़े पर सवार, अस्त्र-शस्त्रों से सज्जित, सैकड़ों मशालों सहित लंका के पश्चिम द्वार पर पहुंची। संगिनियों के एक हाथ में तलवार तथा दूसरे में मशाल थी। एकाएक सब स्त्रियां भीषण शंखध्वनि कर अपने-अपने धनुष टंकारने लगीं। उनकी यह टंकार सुन' वानरयूथ चौंक पड़े। द्वाररक्षक हनुमान ने आगे आ गरजकर पूछा, "तुम कौन हो और इस रात्रि में प्राण गंवाने यहां कैसे आई हो? क्या तुम नहीं जानतीं कि इस द्वार पर हनुमान का जाग्रत पहरा है, जिसका नाम सुनकर राक्षसपति रावण थरथर कांपता है? कहो, तुम कौन हो और क्यों माया से यह स्त्रोवेश बनाया है? मैं बाहुबल से माया का भेदन' करता हूं। मेरा स्वभाव है कि जहां शत्रु मिला, वहीं कुचल दिया।"

सुलोचना की एक सखी ने उत्तर दिया, "अरे, पशु! तुझ क्षुद्र जीव के कौन' मुंह लगे। अपने स्वामी राम को यहां बुला ला। सिहिनी शृगाल से विवाद नहीं करती। जा, मैं तुझे छोड़े देती हूं। तूने अरिन्दम इन्द्रजीत का नाम सुना होगा, सती सुलोचना उनकी पत्नी हैं। वे पति-पद पूजने निज बाहुबल से लंकापुरी में प्रवेश करेंगी। तू जाकर सीतापति, लक्ष्मण आदि दुर्दमनीय वीरों को और राक्षसकुलकलंक विभीषण को शीघ्र बुला। अरे, मूढ़! आज हम देखेंगे, किस योद्धा में कितना बल है!"

"सुन्दरी! मेरे प्रभु राम सिन्धु को शिलाओं से बांधकर असंख्य वीरों के साथ इस पुरी में आए हैं। राक्षसराज उनका बैरी है। तुम अबलाओं से उनका विवाद नहीं है। तुम क्या चाहती हो, सो निर्भय होकर कहो, मैं जाकर प्रभुपद में निवेदन करूं।"

यह सुन सुलोचना आगे बढ़कर बोली, "राम मेरे पति का बैरी अवश्य है; परन्तु मैं इस कारण से उससे विवाद करना नहीं चाहती। मेरे पति त्रिभुवन-विजयी हैं, अतः उनके रहते मेरा रिपु से युद्ध करने का प्रयोजन नहीं; परन्तु स्मरण रखो, जो विद्युच्छटा नेत्रों का रंजन करती है, उसके स्पर्शमात्र ही से प्राणी भस्म हो जाता है। सो, हम उसी भांति की सुन्दरियां हैं। यदि कोई हमारी इच्छा में बाधा उपस्थित करता है, तो हम उसे बिना मारे नहीं छोड़तीं। सो हे, शूर! तुम मेरी इस सखी को राम के पास ले जाओ। यह विस्तार से उनसे मेरी प्रार्थना कह देगी।"

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