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पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/१४२

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नौका के पानी में ले जाना।

नौका को पानी में ले जाना

इस प्रकार एकान्तवास करते मुझे पाँच वर्ष बीत गये। खेती करना, अंगूर सुखाकर रखना, शिकार खेलना आदि नियमित कामों को छोड़कर मैं इस बीच में कोई विशेष काम न कर सका। यदि अपने नियमित नित्यकर्म में कुछ विशेषता थी तो यही कि मैं एक डोंगी बना रहा था। अज्ञानी की भाँति मैंने जहाँ पहली डोंगी बनाई थी वहाँ न मैं नाली खाद कर पानी ला सका और न डोंगी को ही लुढ़काकर पानी तक ले जा सका। वह जहाँ बनाई गई वहीं, मेरी अविवेचना की स्मारक होकर, पड़ी रही। इसके बाद मैं ऐसी जगह एक पेड़ की तलाश करने लगा, जहाँ सहज ही नाला खोदकर पानी ले जा सकूँ। इधर उधर खोजते खोजते समुद्र-तट से आध मील पर नीची जगह में नाव के उपयुक्त एक पेड़ मिल गया। उसे काटकर बड़े कष्ट से मैंने फिर एक डोंगी बनाई। अब रही नाला खोद कर लाने की बात। सो मैंने छः फुट चौड़ा और चार फुट गहरा नाला खोदना शुरू कर दिया। आधा मील नाला खोदकर पानी लाने में मुझे दो वर्ष लगे। किन्तु समुद्र में नाव को उतारकर ले जाने के उत्साह में इस कठिन परिश्रम को मैंने कुछ भी न समझा। आख़िर मेरी डोंगी पानी में बह चली।

नौका पानी में तैरने लगी सही, किन्तु इससे मेरा मतलब सिद्ध न हुअा। यह मेरे मतलब के लायक न थी । चालीस मील समुद्र पार कर के इस डोंगी के सहारे मुझे दूसरे देश में जाने का साहस नहीं होता था इसलिए इस इरादे को एक प्रकार से त्याग दिया। अस्तु, अभी नाव मिल