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राबिन्सन क्रूसो।


हाथ से दाना खा खाकर वे ऐसे पालतू हो गये थे कि चरागाह के भीतर भी वे मिमियाते हुए मेरे पीछे पीछे चलते थे।

एक साल के भीतर छोटे बड़े सब मिला कर मेरे पास बारह बकरियाँ और बकरे हुए। तीसरे साल में तैंतालीस हो गये। तब मैंने चरागाह के पास जमीन के पाँच टुकड़ों को घेरा और एक से दूसरे में जाने का दर्वाज़ा बना दिया।

अब मुझे मांस की कमी तो रही ही नहीं, प्रत्युत यथेष्ट दूध भी मिलने लगा। दूध मिलने की संभावना पहले चित्त पर न चढ़ी थी, पीछे जब इसका खयाल हुआ तब मन में जो आनन्द हुआ उसका क्या पूछना है। उन बकरियों से पाँच सात सेर दूध प्रतिदिन मिलने लगा। यद्यपि मैंने इसके पूर्व कभी दूध नहीं दुहा था और दूध से मक्खन कैसे निकाला जाता है यह भी नहीं देखा था, तथापि प्रकृति ही विशेष शिक्षा देती है और अभाव ही नवीन कल्पना का उत्पादक होता है। अनेक बार विफल प्रयत्न होने के बाद मैंने दूध से मक्खन और समुद्र-जल से नमक निकालना सीखा। एक दिन मैंने एक पहाड़ के ऊपर नमक की खान देखी। तब मुझे नमक का भी कष्ट न रहा।

ईश्वर का विधान बड़ा करुणा-पूर्ण है। उन्हें कैदी भी धन्यवाद देते हैं। असह्य दुःख को भी वे मधुमय बना देते हैं। मुझ सदृश पापिष्ठ के लिए भी उन्होंने इस निर्जन द्वीप में भाँति भाँति के खाद्य पदार्थों का संग्रह कर रक्खा है। इस समय मैं ही मानो इस द्वीप का राजाधिराज हूँ। मेरी प्रजा को जीवन-मरण मेरे ही हाथ में है। मैं अपनी प्रजा को मार भी सकता और रख भी सकता हूँ। मैं जब