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फ्राइडे की शिक्षा।

वह अच्छा हट्टा कट्टा तन्दुरुस्त और लम्बा था। उसकी उम्र पच्चीस छब्बीस वर्ष के लगभग होगी। चेहरे पर कोमलता का चिह्न झलकता था, स्वरूप कुछ भयानक न था। पुरुषोचित सौन्दर्य के साथ साथ स्निग्धता का मेल उसकी शारीरिक शोभा को बढ़ा रहा था, जो देखने में बड़ा ही अच्छा मालूम होता था। खास कर उसका हँसना बड़ा ही सरल और मीठा था। उसके सिर के बाल काले और लम्बे थे। आफ़्रिका-वासियों की भाँति टेढ़े और रुक्ष न थे। ललाट चौड़ा था, बड़े बड़े नेत्र श्रानन्द और उत्साह से भरे हुए थे। शरीर का रङ्ग बिलकुल काला न था। साँवला सा था, जो देखने में बुरा नहीं बल्कि दृष्टिरोचक था। मुँह गोल था, नाक छोटी सी पर चिपटी न थी। गला पतला और दाँत हाथी-दाँत की तरह खब सफ़ेद थे। सारांश यह कि बह देखने में कुरूप न था।



फ़्राइडे की शिक्षा

आध घंटे तक उस पलायित व्यक्ति की आँखें झपी रहीं। इसके बाद वह जाग उठा और गुफा से निकल कर मेरे पास पाया। मैं बाहर बकरी दुह रहा था। वह मुझको देखते ही दौड़कर मेरे पास आया और मेरे प्रति दासत्व और कृतज्ञता का भाव प्रकट करने लगा। वह मेरे पैर को अपने माथे पर रखकर अपनी इच्छा से दासत्व स्वीकार करने लगा। मैं उसके संकेत से उसका मानसिक भाव अच्छी तरह समझ जाता था। मैंने भी उसको अच्छी तरह समझा दिया कि मैं तुम्हारे आचरण से सन्तुष्ट हूँ। थोड़ेही दिनों में मैं उसके साथ बात चीत करने लगा। मैंने उसे बोलना सिखला दिया।