पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/२२६

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क्रूसो के उद्धार की पूर्व सूचना।


मुझे लौटा दें और जहाज़ अधिकार में आ जाने पर मुझको तथा मेरे भृत्य को बिना कुछ भाड़ा लिये इंगलैंड पहुँचा दें।

कप्तान बोला-मैं जितने दिन जीवित रहूँगा आपकी आज्ञा के अधीन रहूँगा।

तब मैंने कहा-"अच्छा, यह लीजिए तीन बन्दूक़ें और गोली-बारूद। अच्छा यह बतलाइए कि अब क्या करना होगा?" उन्होंने कृतज्ञता प्रकट कर मेरे ही ऊपर सम्पूर्ण भार सौंपा। मैंने कहा, वे लोग सोये हैं, चलो अभी गोली से उन को महानिद्रा के अधिकारी बना दें। किन्तु कप्तान ने इसमें अपना उत्साह नहीं दिखाया। बिना मारे ही यदि काम निकल जाय तो वैसा ही करना ठीक होगा। यही उनकी राय थी। तब मैंने उन्हीं को आगे जाने की आज्ञा दी और उनसे कह दिया कि जो आप अच्छा समझें, करें।

इस तरह की बात-चीत होही रही थी कि इतने में उन सबों में कई मनुष्य जाग उठे और हम लोगों ने दूर से देखा कि दो आदमी उठ खड़े हुए। मैंने कप्तान से पूछा, "उनमें विद्रोहियों का सार है कि नहीं।" उसने कहा-नहीं।

मैं-"अच्छा, तो उन्हें जाने दो। ईश्वर ने उन्हें बचाने के लिए पहले ही जगा दिया है। किन्तु असल अपराधी बच जाय तो यह तुम्हारा दोष है।" इस बात से उत्तेजित हो कर वे तीनों मनुष्य बन्दूक़, तलवार और पिस्तौल ले कर बाहर निकले। कप्तान के दोनों साथी आगे बढ़ कर चिल्लाने लगे। नाविकों में एक व्यक्ति जागता था, वह पीछे की ओर देख कर साथियों को चिल्ला कर पुकारने लगा। किन्तु जिस घड़ी उसने पुकारा उसी घड़ी कप्तान के दोनों साथियों ने बन्दूक़ें दाग दीं। एक तो तत्काल मर गया, और दूसरा अत्यन्त