मैं नाव से उतर कर स्पेनियर्ड के पास गया। वह पहले मुझे पहचान न सका। कारण यह कि स्वप्न में भी उसका यह खयाल न था कि मैं फिर यहाँ आऊँगा। मैंने उससे कहा-"महाशय, आपने मुझको पहचाना नहीं?" मेरा कण्ठस्वर पहचान कर वह कुछ न बोला। वह अपने हाथ की बन्दूक दूसरे को देकर बाँह पसार कर दौड़ा और स्पेनिश-भाषा में न मालूम क्या कहता हुआ मेरे गले से लिपट गया। फिर उसने कहा-"मैंने आपको पहले न पहचान कर बड़ा अपराध किया है। आप मेरे प्राणदाता मित्र हैं।" इस प्रकार प्रीतिपगी बातें कह कर उसने मुझसे पूछा-"आप एक बार अपने पुराने घर चलेंगे या नहीं?" मैं उसके साथ वहाँ गया। उसने किले के रास्ते में ऐसे घने पेड़ों को लगा कर पथ संकीर्ण कर दिया है कि किले के भीतर अपरिचित लोगों के जाने की संभावना न थी।
स्पेनियर्ड ने स्वस्थ होकर मेरे अनुपस्थितकाल के दस वर्ष का इतिहास मुझसे कह सुनाया। वह संक्षेप से मैं यहाँ लिखता हूँ-
स्पेनियर्ड कहने लगा-"जब मैंने आकर देखा कि आप चले गये तब मुझे बड़ा ही दुःख हुआ! किन्तु जब मैंने सुना कि आप का उद्धार यहाँ से बड़ी आसानी से होगया है तब मुझे हर्ष भी हुआ। किन्तु आप जिन तीन बदमाशों को यहाँ छोड़ गये हैं वे बड़े ही नृशंस हैं। उन्होंने हम लोगों को मार डालने की चेष्टा की थी। तब हम लोगों ने लाचार हो कर उनसे हथियार ले लिये और उन्हें अपने अधीन कर लिया है। इससे संभव है कि आप हम लोगों पर कुछ अप्रसन्न हो।" मैंने