सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/३३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३१६
राबिन्सन क्रूसो।


दस्तखत करा लिये। मैंने पट्टे में यह शर्त लिख दी कि इस ज़मीन की पैदावर पुश्त दरपुश्त तुम सुख से उपभोग कर सकोगे और यह ज़मीन बराबर तुम्हारे क़ब्ज़े में रहेगी। इसमें कभी किसीको किसी प्रकार का उज्र न होगा। यदि कोई किसीकी सम्पत्ति पर दावा करेगा तो वह दावा अनुचित समझा जायगा।

यदि आपस में किसी तरह का कोई झगड़ा छिड़ जाय तो वे लोग आपस में ही पञ्चों के द्वारा तसफ़िया कर लें। उन लोगों का समाज साधारण-तन्त्र-प्रणाली के अन्तर्गत रहे। कोई किसी के ऊपर हुकूमत न कर सकेगा और न कोई प्रधान बन कर ही कोई काम कर सकेगा। सब लोग आपस में मिल जुल कर काम करेंगे। ३७ असभ्यों को भी इस समाज के अन्तर्गत कर लेना होगा। वे लोग मज़दूरी कर के अपना गुज़ारा करेंगे। किन्तु वे लोग एक दम खरीदे हुए दास न समझे जायँ। उन लोगों को इतनी स्वाधीनता अवश्य रहेगी कि वे जहाँ चाहे कमा खायें। किसी का उनपर जोर नहीं रहेगा। मैंने इस प्रकार की व्यवस्था कर दी जिससे कोई किसीके साथ मेरे परोक्ष में विवाद न करे। असभ्यों में प्रायः सभी ने मज़दूरी करना स्वीकार किया; उनमें सिर्फ चार-पाँच व्यक्तियों ने खुद खेती करके जीवन निर्वाह करने की इच्छा प्रकट की। उन्हें भी मैंने थोड़ी थोड़ी ज़मीन खेती के लिए दी। वे असभ्य लोग अब सभ्यमण्डली में आने से शिक्षा-दीक्षा के उपयुक्त-पात्र समझे गये।

दासी सचमुच ही बड़ी धर्म-शीला थी। उसने सब स्त्रियों को धर्मोपदेश देकर सबके हृदय में धर्म-निष्ठा जागृत