सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/३५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२५
क्रूसो का फिर ब्रेज़िल में आना।


पोर्तुगीज़ रमणियाँ भी। ब्याहने योग्य और कन्याएँ भी मैं भेज सकता था किन्तु स्पेनियों में पाँच ही व्यक्ति अविवाहित थे और सभी विवाहित थे। देश में उनके स्त्रीपुत्र घर-द्वार सब कुछ थे। पाँच व्यक्तियों के विवाहार्थ मैंने तीन कन्यायें भेजीं और दो कुमारिकायें उस भगोड़े भलेमानस के साथ गई थीं।

मेरी भेजी हुई वस्तुएँ टापू में सुरक्षित पहुँच गई थीं और वहाँ के निवासियों के परम आनन्द का कारण हुई थीं। इँगलैन्ड पहुँचने पर जब मुझे उनकी चिट्ठी मिली तब मालूम हुआ कि उस समय ७० आदमी द्वीप में थे। उनमें बालकों की गिनती न थी।

द्वीप के साथ मेरा यही अन्तिम सम्पर्क था। द्वीप की बात ख़तम हुई। अब वहाँ का वृत्तान्त कहने का मुझे अवसर न मिलेगा। इसके अतिरिक्त पाठकगण केवल एक वृद्ध की निर्बुद्धिता का इतिहास पढ़ सकेंगे। वह वृद्ध कैसा कि एकदम नासमझ, विपत्ति की बार बार ठोकरें खाकर और दूसरे की अवस्था देख कर भी उसमें कुछ समझ न आई। चालोस वर्ष का असाधारण कष्ट या आशातीत ऐश्वर्य भी उसे किसी प्रकार शान्त न कर सका।

किसी स्वाधीन सज्जन को जेलखाने में कैद होकर रहने की जैसे कोई आवश्यकता नहीं वैसे ही मुझे भी भारतवर्ष में जाने की कोई आवश्यकता न थी। यदि मैं इँगलैंड से एक छोटे से जहाज़ पर आवश्यक वस्तुओं को अपने टापू में ले जाता और इँगलैंड के राजा से अनुमतिपत्र ग्रहण कर इँगलैंड के नाम से द्वीप को अपने अधिकार में करके उसकी रक्षा