किन्तु यह मामला थोड़े ही में न निबटा। दूसरे दिन ग्रामनिवासियों ने मिल कर रूस के हाकिम के पास जाकर नालिश की। ये लोग नाममात्र के लिए रूस के अधीन थे। ये बात की बात में बिगड़ बैठते थे। रूस के हाकिम ने पहले इन लोगों को मीठी मीठी बातों में भुलाने की चेष्टा की और दोषी को पकड़ कर पूरे तौर से दण्ड देने की बात कह कर उन्हें धैर्य दिया। ग्रामवासी लोग सूर्यमण्डलवर्ती चामचीथौङ्गु देवता के शोक में आर्तनाद करने लगे।
रूस के शासक ने हमारे दल में चुपचाप यह खबर भेज दी कि "तुम्हारे दल में यदि किसी ने यह अपकर्म किया हो तो वह शीघ्र यहाँ से भाग जाय"। हमारे दल में किसने यह काम किया है? यह मुँह देख कर परखना कुछ काम रखता था। जो हो, हम लोग दिन रात अविश्रान्त रूप से भाग चले। दो दिन के बाद देखा कि पीछे की ओर बेतरह धूल उड़ रही है। मालूम हुआ कि वे लोग हम सबों को पकड़ने आ रहे हैं। भाग्य से हम लोगों को सामने एक झील मिल गई। उसके चारों ओर परिक्रमा करके हम लोग उसके दक्खिन तरफ़ चले गये और हमारा पीछा करने वाले शत्रुगण झील के चारों ओर घूमघाम कर उत्तर ओर चले गये। हम लोग बेलाग बच गये।
तीसरे दिन वे लोग अपनी भूल समझ कर दक्खिन ओर लौट चले। उसी दिन सन्ध्या-समय वे हम लोगों के समीप आ गये; किन्तु हम पर कोई अत्याचार न कर के उन्होंने दूत भेज कर चामचीथौङ्ग देवता के अपमानकर्ता को पकड़ कर भेज देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहलाया, यदि अपमान