रामचन्द्रिका सटीक । २६१ अगम तंत्र शोधि सब यंत्र मंत्र निगमनिवारिबेको केवल अरान है । बालनको तनत्राण अमितप्रमाण सब रीझि रामदेव कामदेव कैसो बान है ११ ॥ रीझि रामदेव कहत हैं इति शेषः कहा कहत हैं कि कामदेव के वाणन को त्राण है बख़्तर बालकन को तन है अर्थ जबलौं जीव बालकन के तनरूपी त्राण में रह्यो तबलौं कामवाण नहीं लागत औ गान जो है ताको त्राण वालकनहूं को तनही है अर्थ वालकनहूं को व्याप्त होत है इतनोई भेद है और अमित कहे अनंत सब बात प्रमाण कहे तुल्य है तासों गान कामदेव को ऐसो वाण है कैसो है कामदेव को बाण और गान जाके वायु पधन जो शरीर है तामें नहीं विलोकियत घायलन के घनो सुख होत है औ मन मोहकी मूर्छा को प्राप्त होत है औ तनकी मुधि भूलि जाति है औ नयनन में रोदन होत है औ पोच कहे नागा जो राज्यादि वस्तु को शोच है सो सूखि जात है औ मारणही है विधान जाको ऐसो दुःख होत है अथवा दुःखको मारणको कहे नाशकर्ता है विधान जाको औ अगम कहे अनंत आगम जे धर्मशास्त्र हैं औ अगम जे तंत्रशास्त्र हैं तिनके जे शोधि कहे इंदिकै अथवा शुद्ध करिक यंत्र औ मंत्र हैं औ नि- गम जे वेद हैं ताके जे यंत्र मंत्र हैं ते सब ताके निवारण करिवे को के- वल अयान अज्ञान हैं केवल पदको अर्थ यह किया कि निवारण की विधि वे जानत नहीं ११॥ दोहा ॥ कोटिभांति संगीत सुनि केशव श्रीरघुनाथ ॥ सीताजूके घर गये गहे प्रीतिको हाथ १२ सुंदरीछंद ॥ सुंदरि मंदिर में मन मोहति । स्वर्णसिंहासन ऊपर सो- हति ॥ पंकजके कर हाटक मानहु । है कमला विमला यह जानहु १३ फूलनको सुबितान तन्यो वर । कञ्चनको पलिका यक तातर ॥ ज्योतिजराय जरेउ अतिशोभनु । सूरजमंडलते निकस्यो जनु १४ ॥ जैसे सखीको हाथ गहि स्त्रीके पास सब जात हैं तैसे प्रीतिरूपा जो सखी हैवाको हाथ गहे रामचंद्र सीता के घर गये १२ । १३ । १४ ॥
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