पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/४२४

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प्रथम सोपान, बालकाण्ड । सो०-सिय रघुबीर बिबाह, जे सप्रेम गावहिँ सुहि । तिन्ह कहँ सदा उछाह, मङ्गलायतन राम जस ॥३६१॥ सीताजी और रघुनाथजी के विवाह को जो प्रेम से गायेंगे और सुनेंगे, उनको सदा उत्साह (मानन्द) मिलेगा, क्योंकि रामचन्द्रजी का यश मजल का स्थान है ॥३६॥ इति श्रीरामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने बिमल सन्तोषसम्पादनो नाम प्रथमः सोपान: समाप्तः। यह कलियुग के समस्त दोषों को नष्ट करनेवाला श्रीरामचरितमानस में निर्मल सन्तोष सम्पादन नाम का पहला सोपान समाप्त हुआ। शुभमस्तु मङ्गलमस्तु । nakon