पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. प्रथम सोपान, बालकाण्ड । सन्त सरल चित जगत हित, जानि सुभाउ सनेहु । बाल बिनय सुनि सुरुचि लखि, राम-चरन-रति देहु ॥ ३ ॥ सन्तों को चित्त सीधा है, वे जगत् के हितकारी हैं और परोपकार में स्नेह रखते हैं, उनका ऐसा खभाव जान मैं विनती करता हूँ। इस बालक की प्रार्थना सुन कर और अच्छी रुचि लख कर रामचन्द्रजी के चरणों में प्रीति ( होने का वर ) दीजिए ॥३॥ जो संसार के हितैषी हैं, वे मेरी भी भलाई करेंगे यह ध्वनि है। समदर्शी पुरुषों से अधिक विनती का प्रयोजन नहीं, वे अवश्य ही दया करेंगे। प्रार्थना व दुष्ट आचरण वाले विषमवर्ती जनों से करना आवश्यक है । चौ०-बहुरिवन्दि खलगन सतिभाये । जे बिनु काज दाहिनेहुँ बाँये । पर-हित-हानि लास जिन्ह केरे । उजरे हरष विषाद बसेरे ॥१॥ फिर मैं सरत भाव से खलों के झुण्ड की वन्दना करता हूँ, जो बिना प्रयोजन अनुकूल के भी प्रतिकूल रहते हैं अर्थात् भलाई करनेवाले की भी बुराई करते हैं । पराये के हितों की हानि ही जिनका लाभ है और जिन्हें दूसरों के उजड़ने परहर्ष तथा वसने पर शोक होता है ॥ १॥ कारण कहीं और कार्य कहीं अर्थात् हितहानि दूसरे की हो, उससे खलों को लाम ! उजड़ने से हप, बसने से विषाद 'प्रथम श्रसङ्गति अलंकार' है। हरि-हर-जस से । पर अकाज भट सहसबाहु से ॥ जे पर-दोष लखहिँ सहसाखी । परहित घृत जिनके मन माखो ॥२॥ जो विष्णु और शिवजी के यश रूपी पूर्णचन्द्र के लिए राहु के समान है और पराये का काम बिगाड़ने में सहस्रार्जुन के समान योद्धा हैं । जो दूसरों के दोष हज़ार आँख से देखते हैं और दूसरों की भलाई रूपी घो को बिगाड़ने के लिये जिनका मन मक्खी के समान है ॥२॥ एक स्खल उपमेय के पृथक् धर्मों के लिए भिन्न उपमानों का वर्णन 'मालापमा अलंकार' है। 'सहसास्त्री' शब्द का कोई कोई साक्षी के सहित अर्थ करते हैं। तेज-कृसानु रोष महिषेसा । अघ-अवगुन-धन धनी धनेसा ॥ उदय केतु सम हित सबही के । कुम्भकरन सम सेवत नीके ॥ ३ ॥ ताप में अग्नि और क्रोध में यमराज हैं, पाप तथा दुर्गुण रूपी धन के धनवान कुबेर हैं। उनका उदय (बढ़ती) सभी के लिए पुच्छल तारा के समान (दुखदाई) है और कुम्भकर्ण की तरह जिनका सोना (घटती दशा में रहना) ही अच्छा है ॥३॥ ' पर अकाज लगि तनु परिह रहीं। जिमि हिम-उपल कृषी दलि गरहीं । । बन्दउँ खल जस सेष सरोषा । सहस-बदन बरनइ पर-दोषा ॥१॥ दूसरों का अफाज करने के लिए अपने शरीर तक नाश कर देते हैं, जैसे-पाला और राकेस राहु २