पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

के छत्र रामचरितमानस्ल की विकट छूखी थे। हे । 88 " पृष्ठ विपप सीता का रंगभूमि में प्रवेश २७४-२७५ लक्मण का अपनी माता सुमित्रा के बन्दीजनों की घोषणा २७६-२७७ पास विदा मांगने के लिये जाना ४६१-४६३ » राजाओं का घनुप उठाना २७७--२७८ रामलक्ष्मण तथा सीता का राजा से राजा जनक का दु:खी होना २७८--२७६ विदा होने के लिए उनके पास जाना ४६३-४६५ के लक्ष्मण का कोच २७९-२८० राजा दशरथ आदि का सीता को राम द्वारा घनुभंग २८१-२८१ समाना ४६५-४६६ सीता का राम को जयमाल रामजानकी तथा लक्ष्मण था वन २८७-२६१ के लिए प्रस्थान ४६६ ४६८ उन परशुरामलक्ष्मण संवाद २३३-३०६ सुमन्त्र का रय लेकर राम के साथ परशुराम का वन-मन ३० ४६३-४७२ दशर के पास जनक का पत्र भेजना ३१०-३१३ राम का श्रृंगवेरपुर में पहुँचनानिपाद दशरथ का जनकपुर को प्रस्थान ३१४ ३२७ की सेवा तथा लक्ष्मण और निषाद 80 राजा दशरथ का जनकपुर में आगमन १२७--३२९ का संवाद ४७३ ४७e m राम और सीता का विवाह ३३०-३६२ सुमन्त्र का राम से लौटने की प्रार्थना बारात का विदा होना मीर अयोध्या तथा राम का सुमन्त्र को समझा कर ३६३-३६। पुरी में पहुँचना ४८० -४८५ विदा करना अयोध्या-काण्ड राम का गंगातट पर पहुंचकर पार उतरने के लिये नाव माँगना, केवट मंगलाचरण ३१-३४२ 89 ने अयोध्या में राम के राज्याभिषेक की का राम के चरण धोकर उन्हें पार उतारना, त्रिवेणीस्लान तथा तैयारीदेवताओं की घबराहट तथा सरस्वती से उनकी प्रार्थना ३६२४०२ मरद्धाज का दर्शन - ४८५-४९६ सरस्वती का मथरा की मति फेरना यमुना का दर्शनमार्गवासियों का प्रेम तथा का ग्रामवासियों को रामग g नौर ४०३-४१२ सीता तथा मन्थरा कैकेयी का संवाद - ४६७ .५० ८ रोजे के केपी का कोप भवन में जाना ४१३४१४ लक्ष्मण का परिचय देना ए राजा दशरथ का कैकेयी के पास जाना राम का वाल्मीकि के आश्रम में " और क्रोध का कारण पूछना ४१४. -४१६ पहुँचना तथा वाल्मीकि का राम को ग) कैकेयी का वरदान माँगना। ४१७ चित्रकूट जाने के लिये कहना ५,०-५१५ राजा दशरथ प्रौर कैकेयी का संवाद ४२०-४२७ राम का चित्रकूट में निवासदेवताओं सुमन्त्र का राजा के पास जाना और को प्रसन्नता, कोल-भल्ल की सेवा वहां से लौटकर राम को राजा के तथा संवाद ५१६०५२७ पास भेजना ४२७-०४२९ सुमन्त्र का श्शृंगवेरपुर से अयोध्या राम और कैकेयी का सम्भापण आना, राजा दशरथ से वनयात्रा का पुरवासियों का विपादबन जाने के समाचार कहना ५२७-५३६ लिये राम का माता के पास विदा पुत्रवियोग से राजा का प्राणयाग होने के लिए जाना ४३०-४३९ तथा रनिवास और पुरवासियों का ५३७-५३९ राम का माता से विदा माँगना, उनके वशिष्ठ का भरत को ननिहाल से साथ जाने के लिए सीता तथा लक्ष्मण ५-५४० ४४०--४६० बुलवाने के लिए दूत भेजना की भी प्रार्थना 69 एस