पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/३९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. डछा -छक्ष्य ने 6988 ३४७ हैं के . राजा ने कहा-—रामचन्द्र के राज्याभिषेक के लिये मुनिराज वशिष्जी की

  • जो-जो आज्ञा हो, आप लोग वही सब तुरंत करें।

द्र हरषि मुनीस कहेठ मृदु बानी के आानहु सकल पुतीरथ पानी है। औषध मूल फुल फल पाना में कहे नाम गनि महूनल नाना - मुनि ने प्रसन्न होकर कोमल बाणी से कहा कि सब श्रेष्ठ तीर्थों का जल ले आ । फिर उन्होंने नाम गिनाकर मंगलमय अनेक औषधियाँ, मूल, फूलपू से फल और पत्र आदि वस्तुओं के नाम गिनकर बताये। चामर चरम बसन बहु भाँती व के रोम पाट' पट अगनित जाती हैं ये मनिगन मंगल बस्तु अनेका 3 जो जग जोगू आपू अभिषेका चेंबर, स्मृगचर्मबहुत तरह के वस्त्र, अगणित किस्म के ऊनी और रेशमी हैं। एसे , मणियाँ तथा और भी बहुत-सी मंगल की चीजें, संसार में जो-जो चीजें हो। > राज्याभिषेक के योग्य होती हैं, (उन सबको इकट्ठा करने की उन्होंने आज्ञा दी।) । ल बैद चिदित कहि सकल बिधाना हेड रजू पुर विविध विताना . सफल रंाकपूगफल केरा की रोषहु बीथिन्ह पुर खुर्दा फेरा है मुनि ने वेदों में कहां हुआ सब विधान बताकर का नगर में बहुतसे : के मंण्डंप बनवाओ। फलोंसमेत आससुपारी और केले के पेड़ नगर की गलियों के में चारों ओर रोप दो ( लगाओ )। ने रचहु मंजु मनि चौकइ चारू हु बनावन वेगि बजारू के कई पूजह गनपति गुर फुल देवा के सब विधि करहु भूमिपुर सेवा है। एम के सुन्दर सर्शियों के मनोहर चौक पुरवा और बाज़ार को जल्दी सजाने का के लिये कह दो । श्रीगणेशजी, गुरु और कुलदेवता की पूजा करो और ब्राह्मणों । एम की सब प्रकार से सेवा करो। मैं भी ध्वज पताक तोश्न कलस सजह तुरण रथ नाग। मैं

  • 14 सिर धरि पूनियर बचन सख लिजलिज काजहिं लाग। ।

, ध्वजा, पताका, बन्दनवार, कलश, घोड़ेरथ और हाथी सबको सजाओो। . को सब - । मुनिवर की आशा शिरोधार्य करके लोग अपनेअपने काम में लग गये। में म १. रेशम। २. नाइए ?