पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/१०१

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राष्ट्रीयता और समाजवाद कि वे ऐसी सूरत ढूंढ निकालें जिससे विचारधारा सम्बन्धी मतभेद रखते हुए भी काग्रेसके भीतर सभी साम्राज्य विरोधी दल मिलकर काम कर सके।' कांग्रेसके सामने सवाल विकास जीवनका लक्षण और रवभाव है। प्रकृति में जहाँ गाही भी जीवन है हम इस नियमको लागू पाते है। विकासका मार्ग जीवनके लिए संघर्षकी राह होता है। जीवनके लिए संघर्प मनुष्य समाजमें अनेक प्रकारकी कगगकण और जद्दोजहद नीर संघर्प मनुष्य-समाजके विकास और विस्तारके साथ विस्तृत रूप ग्रहण करते जाते हैं। कवीलोंकी शवलसे वे जातीय और जातीय शक्लसे वे राष्ट्रीय सपर्प हमारे सामने आते है । अाज यूरोपमे जारी अन्तर्राष्ट्रीय सघर्प भी एक बहुत बड़े परिमाणमे जीवनके लिए संघर्प है; क्योकि आधुनिक परिस्थितियोमे जीवनके विकासके लिए मार्ग बन्द हो रहा है । जीवनके लिए सघर्प और विकास बहुत हदतक एक चीज है । जीवन-संघर्ष और विकासके लिए जरूरी है कि जीवनके मार्ग में जो बाधाएँ या प्रतिकूल अवस्याएं आयें उन्हे दूर किया जाय । गुलामी चाहे वह वैयक्तिक हो या राष्ट्रीय, जीवनके क्षेत्रको बढ़त सकुचित कर देती है और गुलामीको अवस्थामे जीवनका विकास न हो सकनेके कारण व्यक्ति और राष्ट्र मृत्युकी अोर चलने लगते है । मनुष्य और राष्ट्र मौतसे बचने के लिए गुलामीके खिलाफ लडते हैं । गुलामीके खिलाफ लड़ना हमारा स्वभाव है । सत्रहवी अठारहवी शताब्दीके अन्तर्राष्ट्रीय जीवन सघर्षका परिणाग यह हुआ कि हमारा देश विदेशी गुलामीमे फंस गया और हमारा राष्ट्रीय जीवन स्वाभाविक विकासके मार्गपर न चलकर विदेशी साम्राज्यको पुष्ट करनेका माधन बनने लगा। जीवनके स्वभाव और लक्षणके अनुसार यह जरूरी था कि हमारा देश इस गुलामीसे निजात पानेकी कोशिश करता । यह कोशिगे शुरू हुई। कई गक्लोमें यह कोशिश हुई। जिनका गवाह इतिहास है । इन सब कोशिगोमे सबसे बड़ी कोगिण जो प्राज ५४ वर्पसे जारी है हमारी राष्ट्रीय काग्रेस है। कांग्रेसका जन्म जिस समय काग्नेसका जन्म हुआ, उस समय हमारा देश गुलामीकी सबसे दर्दनाक हालतमे था। उस समय स्पष्ट तीरपर गाजादीकी बात सोचना, उसका सपना देखना भी हमारे लिए आसान नहीं था, परन्तु आजादी या जीवनकी इच्छा और प्रयत्न मूक्ष्म रूपसे या अप्रकट रूपसे कौमके दिलमे मौजूद था। यह प्रयत्ल उस गहरी गुलामीमे एक संघटनके रूपमे प्रकट हुआ जिसका नाम पड़ा काग्नेस । उस समय काग्रेसका काम अधिकार १. सघर्प २० अगस्त, १६३६