पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/११८

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सत्याग्रहपर पावन्दियाँ १०५ देखा गया है। रामगढके प्रस्तावमे हिन्दुस्तानकी आजादीके अलावा एशिया और अफ्रीकाके दूसरे अनेक उपनिवेशोकी अाजादीकी भी मांग की गयी है, किन्तु दिल्लीके निश्चयमे इस पहलूकी कोई चर्चा नहीं की गयी है । हमे अपने राष्ट्रीय आन्दोलनके अन्तर्राष्ट्रीय पहलूको भूल नहीं जाना चाहिये । काग्रेसके तथाकथित राष्ट्रीय सरकार वनानेके खतरेकी अोर भी ध्यान देना चाहिये । अगर ऐसा हुआ तो काग्रेसके युद्ध-विरोधी परम्पराके साथ ही उसकी राष्ट्रीयताकी परम्परा- के नष्ट हो जानेका डर है और यह कार्य वैसी ही नासमझीका कहा जायगा जैसा यह कि पुनर्जन्म प्राप्त करनेकी आशामे आत्म-हत्या कर ली जाय ।' सत्याग्रहपर पावन्दियाँ ११ अक्तूवरको वर्धा वर्किंग-कमेटीकी बैठक शुरू होगी। मालूम नही महात्माजी सत्याग्रहकी कौन योजना उसके विचारार्थ रखते है, किन्तु इतना तो स्पप्ट है कि महात्माजी किसी न किसी रूपमे व्यक्तिगत सत्याग्रहसे ही आन्दोलनका प्रारम्भ करेगे। महात्माजी एक अरसेसे कहते आते है कि वह सामूहिक सत्याग्रहके लिए देशमे उपयुक्त वातावरण नही पाते । रामगढकी वक्तृतामे अवश्य सामूहिक सत्याग्रहकी बात उन्होने की थी, किन्तु मईके महीनेसे वह बरावर सामूहिक सत्याग्रहके न छेडनेकी वात ही कहते आये है। पहले सत्याग्रहका आधार देशकी आजादीका सवाल था, किन्तु अव वह आधार भी बहुत सकुचित कर दिया गया है । वम्बईके प्रस्तावमे और महात्माजीके भापणमे यह बात साफ कर दी गयी है । काग्रेस अपनी नीतिका हिसात्मक तरीकेसे अनुसरण करनेकी स्वतन्त्रता चाहती है। काग्नेस साम्राज्यवादी युद्धका विरोध करनेकी नीतिको अरसेसे अपनाये हुए है। महात्माजी अहिसाके सिद्धान्तके अनुसार प्रत्येक युद्धके विरोधी है । काग्रेसकी इस नीतिके अनुसार काम करते हुए कितने ही कार्यकर्ता जेलखानोमे वन्द कर दिये गये । काग्रेस इसी प्रश्नको लेकर सत्याग्रह करने जा रही है। स्वभावत यह सवाल उठता है कि रामगढ-काग्रेसके बाद क्या ऐसी बाते हुई जिनके कारण सामूहिक सत्याग्रह अनुपयुक्त समझा गया और आजादीका सवाल छोड दिया गया ? मैं समझता हूँ कि हिंसाके भयसे महात्माजी सामूहिक सत्याग्रहकी अाज्ञा देनेसे घवड़ाते है और मुसलिम लीगके विरोधके कारण आजादीके सवालको इस समय उठाना नही चाहते । शायद उनका ख्याल है कि राज-शक्तिके सवालको लेकर सत्याग्रह आरम्भ करनेसे मुसलिम लीगके नेताअोको यह ख्याल हो सकता है कि इस तरह काग्रेस गवर्नमेण्टको उससे समझौता करनेके लिए मजबूर करना चाहती है। उनके ख्यालसे इसका नतीजा यह होगा कि मुसलिम लीग आन्दोलनमे रुकावट डालेगी। अपना रास्ता साफ करनेके लिए शायद १. 'सघर्प' १२ अगस्त, १९४० ई०